वक्त ने वक्त से पूछा वक्त की क्या ख्वाहिश है, वक्त ने नम आंखो से मुस्कुराकर जवाब दिया,
"बस वो गुजरा हुआ एक पल लौटा दो जहा हम खुद का वजूद ही भूल आये थे।"
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मौत के तूफान मे यू फसे है हम
की,पता ही नहीं चलता
कब कोनसा चेहरा आंखो से दूर हो जाएगा
आौर,
ताउम्र इंतजार दे जाएगा.....-
वक्त के हाथों से यू बिके हे हम
कलम ने साथ छोड़ते हुए कहा
इसके आगे का सफ़र अकेले ही तय करना होगा..-
उन्हें मंजिले क्या मिली
वो तो,
मंजिल तक जानेवाला असली रास्ता ही भूल गए।-
व्यक्ति करोडो की भीड में अकेला हो तो फर्क नही पडता पर वहीं इंसान अपनो की भीड में अकेला हो तो फर्क जरूर पड़ता है।।
Bitter truth👆🏻-
ये कैसी दुविधा है....
दिल को हम काबू कर नहीं पाते
और,
दिल के जज़्बात बया भी नहीं कर पाते-
✌️बस शाम होने वाली थी✌️
किस्सा तो उस शाम का था जब उसकी आंखे इंतजार में थीं, उसका दिल की धड़कन उसी के नाम की माला जप रही थी, उसके कान उसकी कदमों की आहट सुनने को तरस रहे थे, उसके लब अपने प्यार के लिए गीत गा रहे थे , ये समा बस उसकी आने की खुशी मना रहा था, और वो दीवानी उसके लिए सजे जा रही थी, फूलों का बिछोना बिछाया था, चांद भी अपनी हलकी झलक दिखा कर उसके प्यार का साक्षी बन रहा था पर रब को कुछ और ही मंजूर था; उन्हें लगता था जिस प्यार पर उन दोनों का ही हक़ हैं पर उस प्यार को खुदा की मंजूरी नहीं । उस दीवानी के प्यार की जिंदगी की डोर किसी और ने थाम ली थीं और उस दीवानी की चुप्पी ने ही उसकी खुद की जिंदगी उजाड़ दी थी। बस खुशियों की शाम होनेवाली थी पर गम की डरावनी शाम हो गई।पर अभी भी उसकी तमन्ना में , ख़यालो में बस वो शाम होने वाली है।-
इंसान अपनी बेवकूफी का परिचय दे रहा है
क्युकी,
मौत को न्योता देने इंसान खुद ही जा रहा है-