राधा नाम से जिनकी पहचान हैं
पीताम्बर इन्हें श्री जी का आशीर्वाद हैं
वृन्दावन की रज का करते गुणगान हैं
इनकी हर बात में श्यामा श्याम हैं
नाम में ही प्रेम का आनंद हैं इनके
ऐसे मेरे गुरु करूणानिधान हैं
राधा वल्लभ श्री हरिवंश
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बेबाक इंसान भी चुप हो जाते हैं
कहा दूरी थी मंजिल में
बस हौसलों में ही हम काम पड़ जाते हैं-
राधा के प्राण कृष्ण हैं
रूक्मणी का श्रृंगार कृष्ण हैं
मीरा के चार धाम कृष्ण हैं
गोपियों का संसार कृष्ण हैं
प्रेम शब्द का सार कृष्ण हैं
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शिव-गौरा के पुत्र आप
चंचल मूषक पर सवार
गजानन आप पूजनीय
शुभ - लाभ के साथ
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गणपति बप्पा मोरया
कह कर करू गुणगान
आप मेरे घर पधारों
कर रहीं हूं कब से इंतजार-
56 इंच की छाती,फोलादी जज़्बात
सीने में तिरंगा,हाथों में हथियार
बर्फिले मैदानों में,अंगारे सा जवान
मां की ममता, पिता की डाट ,
बहन की राखी,पत्नी का श्रृंगार,
सब कुछ लुटा देता हैं भारतमाता पर जवान
हम तो आज मानते हैं कारगिल दिवस
वो हर रोज कारगिल पर न्यौछावर करते प्राण-
भस्म रंगे, नाग लिपटे
चन्द्रमा का अलंकार हो
विवाह भी था अनोखा
अर्धांग में गौरा आप हो
सावन में मांगू हे! महादेव
हर जोड़े में आप सा साथ हो-
कहते हैं सावन में शिव
हर आश पूरी करते हैं
कभी कुछ मांगना न पड़ा भोले से
वो बिन कहे मेरा बेड़ा पार करते हैं-
गणेश,लंबोधर,विनायक
तेरे अनेकों नाम
सर्वत्र पूजन सर्वप्रथम
दिया सब ने वरदान
लड्डू,मोदक भोग में
दुर्वा से शोभित आप
मूषक पर सवार हो
विग्न हरे अपार
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सेवक ऐसा पाइये
की त्रिलोक करे बखान
श्रीराम भी ह्रदय में
बस गए ले सिया को साथ
जाप करो जब हनुमंत का
राम नाम से करो शुरुआत
जय श्रीराम जय हनुमान-