Bring the sunset in my cup
For all I ever dremt was dawned by them ,
Who had all perfect life ,
And made me feel I was empty as hell !
Bring the sunset ,
For the sun when it grows ,
Takes all my enthusiasm to fly
And while it sets ,
Sets me apart from you.
Let not the world decide,
What's good for you & what's not ,
For some stones are kept for you to stumble ,
Fall ,my kid , fall again.
But remember that every sun that sets ,
Has to rise again !!
In that name bring the sunset again in my lap,
For now I've got to rise from the sunset again !!-
हम भी जाहिल , तुम भी जाहिल
वक्त चालाक निकला,
बांध भी दिया और तोड़ भी गया !!-
मरती क्यूँ नहीं है रे साली !
आज इसको मेरे घर से निकालो नहीं तो जान से मार देंगे इसको !-
There's a thin line between
Compromise, Adjustment & Love .
Where most often the later destroy everything in the face of the former two!-
क्या इतने ही बे-गै़रत थे तुम,
कि खुद की ना-कामयाबी के मलाल में मेरा घर भी उजाड डाला ?
ये कौन सा खोखला रिश्ता है बताओ हमें भी,
धड़ से अलग हमें करते हो ,
और ज़ख्म से पिल-पिला तुम उठते हो ?
ये कैसी बे-तुकी बात है देखो,
दिन में हाथें मरोड़ते हो ,
और रातें तुम्हारी सुहानी हो जाती ..
कुछ तो बात ज़रुर है ,
यूँ ही नहीं तूममें ईतना गुरूर है ..
ना-मर्द हो ?
या मर्दानगी जताते हो?-
सीता भी बनना ज़रूरी , और वक्त पर दुर्गा भी !!
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तुम राम तो कतई नहीं ,
पर चल तो रहा घोर कलियुगहै !!-
समुद्र मंथन चल रहा । बस इस बार यह तय नहीं अच्छे लोग जाएंगे या राक्षस ! हमारे लोग .. या हम खु़द।
समय कठिन है । बहूत कठिन । पर प्रथना करते हैं न । उनके लिए जिनके पास आब भी मोहलत है । और उनके लिए भी जिन्होने अपना शरीर छोड़ दिया है । बहूत दर्द में गए हैं । बहूत तकलीफ़ रही होगी ..उन्हें भी ।
आगे का सफ़र अच्छा हो उनका । शांती मिले उन्हें भी । इस जन्म की कलेश आगे न ले कर जाएं । जो हुआ हो गया । ये जन्मों जन्म के दोहराए जाने वाले चक्रकाल में , हम उनकी शांती की कामना कर सकते हैं बस । ताकी आगे जा कर और छल -कपट दुखी़ लोग न आएं । घोर कलियुग ही है न ये तो ! और क्या हो सकता ?!-
There are lot of good people,
If you've done good to people .
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Keep ur karma clean.
It all comes back in ten folds.
Good , bad eveything !!-
कीचड़ से ,
कमल की तरह निकल जाना ही सफ़लता है ।
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तुम शुद्ध थे ,
अनछुए रह जाना ही सफ़लता है ।
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वो ईंतेजा़र ही घडी़ भी कैसी होती ,
आप जानते हो हर चीज़ का एक वक्त होता ,
वो अपने समयपर होगी..
कितनाभी झंक-झोरोगे , खु़द को ,
कुछ नहीं होगा ,
बस तुम ही टूटोगे.. बिखरोगे ..
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ये 'वक्त ' बहूत कुछ सिखाता मेरी जान !!-