हे ! मां, इतना काबिल बनाना कि मैं आपको लिख सकूॅं...
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केवल मनोरंजन न कवि का कर्म होना चाहिए...
उसमें उचित उपदेश का भी मर्... read more
ये कोहरे की धुॅंध
बनी रहे तो ही अच्छा है...
नहीं तो, हर चीज
बहुत साफ-साफ
नज़र आने लगती है...
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साल-दर-साल बीत रहे
सांसें हो रहीं हैं कम।
नया जरा सा हो रहे हैं
या बहुत पुराने हो चुके हम।
मेरे मन का वो सूखा दरख़्त
पूछता है, और कितना है वक्त?
संपूर्ण भाग
अनुशीर्षक में पढ़िए...
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कितना सरल है
किसी महिला के साथ
'सशक्तिकरण' शब्द जोड़ना...
पर बहुत मुश्किल है
शब्दकोश में एक शब्द ढूंढना
जो किसी पुरुष के साथ
जोड़ा जा सके...-
जग की कैसी रीत,
वक्त का कैसा छल।
एक पल में ही,
सबकुछ गया बदल।
अनुशीर्षक में पढ़िए...-
कमजोर नहीं हूँ ,
न ही कभी हारी हूँ मैं...
और गर्व से कहती हूँ,
नारी हूँ मैं...
संपूर्ण कविता अनुशीर्षक
में पढ़िए...-
May this Diwali bring
success, prosperity, bliss,
cherish, enjoyment
& light of hope.
Our life be always sparkling
as light of crackers.
Happy Diwali-