कलम-ओ-स्याही की गुफ्तगू काग़ज़ चुपचाप सुनता है
दिल में अपने कई राज़ गहरे छिपा कर रखता है
शफ़ाक पन्नों पर जज्बातों के बादल गहरे रखता है
आँसूओं की नमी से फिर भी खुद को आज़ाद रखता है
कहीं कोई दाग़ धब्बा पड़ भी जाए तो तुरंत सोख लेता है
पलकों की कोरों के बांध तोड़ कर बहते जज्बातों को
यहाँ वहाँ बिखरने नहीं देता है।
दिल के एहसास। रेखा खन्ना-
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शफ़ाक पन्नों पर जज्बातों के घने बादल थे
स्याही का कालापन ले कर शब्दों में बरसे थे
कुछ एहसास खामोश तो कुछ बेतहाशा चीखते थे
काग़ज़ का सब्र भी देखो राज़ बना कर अपने सीने में रखते थे।
दिल के एहसास। रेखा खन्ना
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जवाबों में छिपे सवाल अनेक
कुछ जवाब हैं टाल-मटोल करते
जैसे सच कहें तो बवाल कर दें
कुछ सवाल दिल पर हैं चोट करते
जैसे उनके जवाब है खून से भरे
सवालों जवाबों के इस खेल में
साधारण शब्द भी है मुश्किल दिखते
उत्तर एक हैं प्रश्न अनेक
नहीं, शायद हर प्रश्न के हैं उत्तर अनेक
हर उत्तर में छिपे हैं प्रश्न अनेक।
दिल के एहसास। रेखा खन्ना
©dil_k_ahsaas
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कुछ ख्यालों ने फिर दस्तक दी है
कुछ लफ्ज़ फिर गुम है
मन के भीतर दिख रहा अँधेरा बहुत है
पर एहसास भरे लफ़्ज़ों में अपनी चमक बहुत है
एक काफिला लफ़्ज़ों का आतुर है
काग़ज़ की ज़मीं पर चलने को
बस उन लफ़्ज़ों को ढूंँढ कर लाना है
जो काफिला छोड़ ना जाने कहाँ गुम हैं
एक आंधी चली थी जज़्बातों से भरी
एक दरिया बाँध तोड़ बह निकला आज फिर
रूँधे गले में शायद लफ्ज़ भी सिसक सिसक कर
सो गए हैं।
दिल के एहसास। रेखा खन्ना
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एहसासों ने धीरे धीरे खुदकुशी का रास्ता चुन लिया, जब अंधेरों ने कहा मुझे तुमसे इश्क़ हुआ ..!!
दिल के एहसास। रेखा खन्ना-
because whenever I say to him that you are my best friend
He replies back "no I'm not because your mother told me that I am your mama".
Have you not heard the song ...
चंदा मामा दूर के
पूडे़ पकाए गुड़ के
आप खाएं थाली में
मुन्ने को दे प्याली में
प्याली गई टूट
मुन्ना गया रूठ ....
Always remember .... I am your mama.
😁😁😁😁
Rekha Khanna-
ख़ामोश लबों को लफ़्ज़ों का इंतज़ार है
दिल की बात जो कहें वो लफ्ज़ कहांँ हैं
जो बयान ना हो सके वही तो एहसास हैं ..!!
दिल के एहसास। रेखा खन्ना-
यूं मोमबत्तियों के काफिलों से इंसाफ नहीं मिला करते
चार दिन बाद ये मोमबत्तियां भी खुद-ब-खुद बुझ जाती हैं
ये रोष और जोश जाने कहाँ चला जाता
शायद फिर एक नये हादसे के इंतजार में
वक्त की देहरी पर खड़ा रहता है
फिर एक खबर उड़ती है फिज़ाओं में
फिर एक नया हादसा उतरता है
मासूम के किरदार की कहानियां अनगिनत लेकर
और फिर रोष और जोश में कई मोमबत्तियां जल जाती हैं।
फिर रात भर काफ़िले चलते हैं
और सुबह थक कर अपने अपने घर के हो जाते हैं।
😥😥😥
दिल के एहसास। रेखा खन्ना-