अब हमें दिल से दिल लगाने की इजाज़त ही नहीं मिलती
ज़माने को छोड़िए साहब ,अपनी तो अब खुद से नहीं बनती…-
Rehmat Muntzir
(Rehmat Muntzir)
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जिसमें दर्द ना हो तो वो दिल ही क्या...
Joined 15 January 2019
2 JUL 2023 AT 12:28
1 JAN 2023 AT 9:11
इक मसला हैं जो मुद्दतों से हल नहीं हो रहा हैं
आज से कल अच्छा होता हैं ना,
तो अपने लिए ये कल क्यूँ नहीं हो रहा हैं…-
15 SEP 2022 AT 16:06
ना समझो तो मिट्टी समझो तो सोना हूँ
दिल बहलाने के लिए मैं तो बस खिलौना हूँ…-
16 DEC 2020 AT 9:24
दिलों में गर्मजोशी बनाए रखिए
सर्दी का मौसम हैं;रिश्तों पे बर्फ़ ना जमे...-
8 AUG 2020 AT 22:16
अब हमें ग़मों ये हंसी कैसे आती हैं
यारों ये रातें उदासी कहाँ से लाती हैं...-
5 MAY 2020 AT 22:03
बर्बाद कर के उसने पूछा हुआ क्या हैं
दिल तो ख़ाक हो गया अब ये धुआँ क्या हैं...-