Rehbar Naqvi   (Rehbar Naqvi (राही)✍)
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Joined 3 April 2020


Joined 3 April 2020
5 JUL 2022 AT 12:29

निगाहों में आस लिए, राह ए सफ़र में क्या तलाशता है,
जिस ओर तू जाता है, उस मंज़िल को तेरी तलाश है,
अफ़सोस ना कर, वक्त के गुज़र जाने का,
ये वक्त भी "राही" तेरे वजूद का मोहताज है।
ख़्वाहिशे थी, हौसले थे, ख़्वाब थे,
पल वो भी जि़दंगी के खू़ब नायाब थे,
इन पलों में क्या तलाशता है अपना बचपना,
ये ज़िंदगी का सफ़र है, इसका अंजाम भी ख़ास है।
जिस ओर तू जाता है, उस मंज़िल को तेरी तलाश है,
ये ज़िंदगी का सफ़र है, इसका अंजाम भी ख़ास है।

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2 FEB 2022 AT 14:06

अपने ख़ुवाबों में दर्द के अज़ाब लिखता हूॅं,
ग़म कुछ ऐसे हैं कि हर आब लिखता हूॅं,
जनाब ज़रा देखिये हमारी महफ़िल में आ कर,
हर सिम्त कुछ ऐसे हिसाब लिखता हूॅं।
मेरा काफ़िला तो है रात के सफर-ए-मंज़िल में लेकिन,
नूर-ए-हिलाल को 'राही' आफ़ताब लिखता हूॅं।

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1 FEB 2022 AT 12:49

उलझा सा ख़ुद में तेरा ही ख़याल करता हूँ,
दिल की सुन के कभी ख़ुद से सवाल करता हूँ,
तू एक जन्नत की परी, मैं तेरा एक पागल दीवाना,
तेरे प्यार में खोया, ख़ुद को बेहाल करता हूँ।
तेरा ज़िक्र होता जब भी ख़वाबो-ख़यालों में,
अपनी किस्मत पर ख़ुशी से मलाल करता हूँ।

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15 AUG 2021 AT 9:13

चलो बात करें उन वीरों की जो चढ़ गए भेंट तीरों की,
सालों से थे क़ैद में जिनकी, ये गाथा है उन ज़ंजीरों की।

निष्पक्ष, निस्वार्थ, निष्क्रित, निडर, नियंत्रित, निश्ठावान थे वो,
बिना भेद-भाव देश पे क़ुर्बान हो गए, ख़ुद में ही हिंदोस्तान थे वो ।
दिन वो फिर लौट के आया है, जिस दिन उन्होंने इतेहास बनाया है,
अपना शीश कटा के भारत माता का शीश उठाया है।
मिट्टी ये खदान है सुखदेव, राजगुरु, भगतसिंघ जैसे हीरों की,
चलो बात करें उन वीरों की जो चढ़ गए भेंट तीरों की।

रोमांच निर्मित, गणतंत्र, स्वतंत्रित, विजय में ढली ये वाणी है,
संघर्ष, साहस, रक्त से सींची ये सजीव कहानी है।
हिंसा से लेके अहिंसा तक चार-सु फैला ये किस्सा है,
हर धर्म से एकत्रित रक्त का इस स्वराज की जंग में हिस्सा है।
देश की नीव है क़ुरबानी गांधी, नेहरू, नेताजी जैसे शेरों की,
चलो बात करें उन वीरों की जो चढ़ गए भेंट तीरों की।

सालों से थे क़ैद में जिनकी, ये गाथा है उन ज़ंजीरों की,
चलो बात करें उन वीरों की जो चढ़ गए भेंट तीरों की।
🇮🇳 जय हिन्द || जय भारत 🇮🇳
🇮🇳Azaadi Ka 76th Swatantrata Diwas🇮🇳

–Rehbar Naqvi (राही)✍️

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13 JUN 2021 AT 18:44

चार दोस्त, दो स्कूटी, खाली जेब और पूरा शहर!

जनाब, हमारा एक ख़ूबसूरत दौर ये भी था ज़िंदगी का,

उस दौर में हम सोचा करते थे कि कुछ बेहतर हासिल करेंगे, हमें क्या पता था कि उससे बेहतर कुछ था ही नहीं !!

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16 AUG 2020 AT 12:27

चलो बात करें उन वीरों की जो चढ़ गए भेंट तीरों की,
ख़ुद मर्ज़ी से थे क़ैद में जिनकी, कहानी ये ज़ुबानी है उन ज़ंजीरों की,
निष्पक्ष, निस्वार्थ, निष्क्रित, निडर, नियंत्रित, निश्ठावान थे वो,
बिना भेद-भाव देश पे क़ुर्बान हो गए, ख़ुद में ही हिंदोस्तान थे वो।

दिन वो फिर लौट के आया है, जिस दिन उन्होंने इतेहास बनाया है,
अपना शीश कटा के भारत-माता का शीश उठाया है,
कोई सिख, जाट, मराठा, था कोई हिन्दू, मुसलमान,
गोरखा कोई मद्रासी,
स्वराज को चहने वाला हर एक था भारतवासी,
मिट्टी ये खदान है सुखदेव, राजगुरु, भगतसिंघ जैसे हीरों की,
चलो बात करें उन वीरों की जो चढ़ गए भेंट तीरों की।।
🇮🇳🇮🇳🇮🇳||जय हिंद, जय भारत||🇮🇳🇮🇳🇮🇳

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9 JUL 2020 AT 22:00

anything is just to
believe in you in order


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8 JUL 2020 AT 23:11

change the destiny of
your life within

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7 JUL 2020 AT 22:19

of the GOD along with
the UNIVERSE is still


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6 JUL 2020 AT 21:16

that feeling with gives you
internal peace at your
every achievement in your

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