Reeva Chaudhary   (रीवा)
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Joined 5 June 2019


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6 AUG 2023 AT 10:18

स्त्री
उदासी की
चादर ओढ़े,
सहते हुए
दर्द सभी,
पूरी करती हूँ,
अपनी सभी
जिम्मेंदारियां !

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29 JUN 2023 AT 9:30

लगा कर सीने से उसने मिटा दिये गम सभी,
मेरे चेहरे से मिट गई दर्द की हर शिकन तभी।

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24 JUN 2023 AT 9:41

मेरी चाहते कुछ
इस कदर
अधूरी रह गई,
मिला नही तू
तेरा इन्तजार
करती रह गई।

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12 MAY 2023 AT 19:15

अबतक तो संभाला है
आगे भी संभाल लेना!

मेरी नैया की पतवार
तेरे हाथों मे है सांवरे!

भटक जाऊँ अगर मैं
तो तुम राह दिखाना!

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12 MAY 2023 AT 19:04

रख हौसला
कर कोशिशें मुकम्मल,
पूरी होगी
सभी ख्वाहिशें तुम्हारी!

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4 MAY 2023 AT 19:33

जहाँ हम अकेले रहकर
मंथन करते है .......
अपनी भावनाओं का
अपनी उलझनों का
उन अनकही बातों का
जो हमे कहनी थी
पर कभी कह नही पाए,
तन्हाई के उन पलों मे
हम अकेले होकर भी
अकेले कहा रहते है।

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15 APR 2023 AT 15:02


हमारे जीने
का सहारा है,
यादें संभाल
कर रखती है,
खट्टे मीठे
पलों को ।

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2 APR 2023 AT 8:50

जाकर हम जान पाते है,
जीवन मे की गलतियां
व उन सब भूलो को....
जो हम कर देते है
जाने अनजानें मे,
पर समय निकल
जाने पर पछताने
के अलावा कुछ
शेष नही रह जाता।

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18 MAR 2023 AT 21:13


मिलवाते है
हमारी कमियों से,
परिचय करवाते है
अपनों के वेश मे
छिपे गैरों से और
गैरों मे छुपे
अपनो से !

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19 FEB 2023 AT 13:46

आज तक मैं भी नही जान पाई,
छोटी थी तो मुझे मेरे पिता के नाम जाना गया,
बड़ी हुई तो मुझे मेरे भाई के नाम से जाना गया,
शादी हुई तो मुझे मेरे पति के नाम से जाना गया,
आज बूढ़ी हुई तो मेरा बेटा मेरी पहचान बन गया,
मुझे आज तक कभी भी मेरी पहचान नही मिली!

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