Reetu Verma   (REETU VERMA)
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Joined 17 June 2019


Joined 17 June 2019
8 OCT 2020 AT 23:05

दर्द की धुन पर
थिरकती जा रही है जिंदगी
हर राह पर
हर मोड़ पर
इस छोर से
उस छोर तक
कभी चादर में
कभी कंबल की बांहों में
सिसकियों के साथ
कभी आंसुओं के सैलाब
इसी तरह हर पल
पिघलती जा रही है जिंदगी

बेमतलब के रिश्तों में
अजीब सी बंदिशें
घर बार और परिवार में
साजिशों की कसावटें
घर की चारदीवारी
और दफ्तर की चाकरी
इन सभी के बीच
सिमटती जा रही है जिंदगी

गली से, चौराहों से
चुपके से राहों से
दरवाज़े से
खिड़की से ,रौशनदान से
गर्म हवा के फैन से
हवा से,दवा से
कुछ हद तक दुआ से
धीरे धीरे करके दबे पाँव
खिसकती जा रही है जिंदगी

झूठी मुसकान लिए
दर्द का तूफान लिए
खूब सारे अरमान लिए
कांटों से तन बंधाकर
उर में सौ घाव लिए
जर्जर होकर
बिखरती जा रही है जिंदगी
बस यूं ही
दर्द की धुन पर
थिरकती जा रही है जिंदगी



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8 OCT 2020 AT 12:08

जिंदगी कितनी रफ्तार से चलती है
ट्रेन जैसै पटरी की धार पर चलती है
आगे आगे दौड़े, तेज हवा सी फड़फड़
जीतने को हमसे, बेकरार सी चलती है

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8 OCT 2020 AT 12:04

जिंदगी कितनी रफ्तार से चलती है
ट्रेन जैसै पटरी की धार पर चलती है
आगे आगे दौड़े, तेज हवा सी फड़फड़
जीतने को हमसे, बेकरार सी चलती है

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2 OCT 2020 AT 0:36

# justice for every girl

अरे मुझे मुआवजा नहीं
इंसाफ चाहिये
उन दरिंदों के चेहरे पर
सियासत का खौफ चाहिये
जितना दर्द मैनै सहा,
गर थोड़ा ही तुममें बांट दे
सोचो जरा
जो बात बात पे दरिंदगी दिखाते हैं
उनका अभिन्न अंग काट दें,

फैला दो स्याह की ये उसमें बह जाए
दोबारा कोई ये घटना ना दोहरा पाए

सियासत गर्दो पर करके भरोसा
ना अब पश्चाताप करो
जला दो जिंदा चौराहों पे
तुरंत-फुरंत इंसाफ करो

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8 SEP 2020 AT 21:40

अंतिम से आरंभ किया है
चलना अभी प्रारंभ किया है
ज्ञान सागर से मोती लेकर
जीवन का शुभारंभ किया है

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13 AUG 2020 AT 22:58

अपनी तलाश में हम आगे निकल गए हैं
रूह आज भी वही है बस हम बदल गए है

है डर नहीं जमाने का अब जरा भी मुझे
रुसवाईयां थी पहले पर अब संभल गए हैं
Reetuverma










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8 AUG 2020 AT 0:28

जिंदगी और मौत के दोआब मे बैठे हैं
हर वक्त आंसुओं के सैलाब में बैठे हैं

तू नहीं है इल्म हो तो गया है दिल को
मगर जाने क्यों तेरे ख्वाब मे बैठे हैं

अब रूबरू क्या होंगे हम जमाने से
वजह यही है कि हिजाब मे बैठे हैं

छोड़कर कर शवाब की अदाकारी
अभी तक महफ़िलें शराब में बैठे हैं

गुनहगार हैं तू पर आस अभी बाकी है
दौर ए कचहरी में भी हिसाब में बैठे हैं
Reetuverma












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6 AUG 2020 AT 21:21

तिरछा घूंघट

तिरछे घूंघट आली छोरी
करगी आंख्या से दिल चोरी
इक तेरा यो रूप न्यारा
छोरा गया जाटा का मारा
हो ओ ओ ओ ओय ओय
घूंघट तारेगी के
मनै तू मारैगी के

तू चांद बरगा सौदा
सबसे बढकै तेरा ओहदा
रोज बथेरे कत्ल करावै
इन छोरया की नींद डिगावे
हो ओ ओ ओ ओय ओय
घूंघट तारेगी के
मनै तू मारैगी के

काले सूट ने पहर के छोरी
गामा मै तू चालैगी
दिल आल्या नै होश के रहया
गाम की धरती हालैगी
लूट गइ रै दिल और जान
होर बता के चावैगी
हो ओ ओ ओ ओय ओय
घूंघट तारेगी के
मनै तू मारैगी के


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29 JUL 2020 AT 23:03

वो पीड़ा मै है ,पर जताएगा नहीं ।
घर उसका भी है, मगर जाएगा नहीं ।

ये मेरे देश का जवान है साहिब

यादें उसका भी सीना चीरती है
सब सह लेगा पर बताएगा नहीं

कभी कोई कर्ज ना रखना ए कातिल
जब तक चुकाएगा नहीं वापस आएगा नहीं
Reetuverma








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22 JUL 2020 AT 23:59

हजारों मे किसी इक को ही ये उपहार मिलता है
खुदा की ही तो है मरजी जो ये संसार मिलता है
हूं खुशकिस्मत जो आए हो तुम जिंदगी में मेरी
जमाने मे कहां सब को यूं सच्चा प्यार मिलता है

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