Rishte kbhi kudarati nhi marte insaan unhe khatam karta hai
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बस यही मेरे लिखने का अंदाज़ है
बेगुनाह हम भी कहां थे इस जुर्म में
नजरों का आमना सामना जो रोक ना पाए
देकर उन्हें अपने सारे हक
कहा हम खुद को आज़ाद कर पाए।।-
Kuch Anjan chehro se na tha wasta
Pta na kb kaise jud gya rasta
The anjan se chere unchahe raste
Phir bhi dil u juda inse ese jaise tha jnmo ka wasta-
दिन गुजरा गुज़रे महीने और साल
ना रहे अब वो दोस्त ना ही कोई खैरियत का सवाल।।
काश कोई लौटा दे वो बचपन
जहां ना हो कोई परेशानी और मुसीबतों का जाल।।
जहां खुल कर है मुस्कुरा सके और दोस्त बोलें
चल छोड़ पुरानी बातें चल करे मस्ती और धमाल।।
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बचपन की गलतियां ही अच्छी थीं जो सुधारी जा सकती थी,
बड़े होने पर तो ये हक भी छीन लिया जाता हैं।।-
ख़ामोश नज़रे है बेजुबा तुम धड़कनों की आवाज़ मेरी सुनना,
शब्दों में नहीं है आवाज तुम बस उनको महसूस करना।।-
ये कैसे मोड़ पर आ गई है जिंदगी
ना हसने देती है, ना रोने देती ।।
यूं तो छोड़ दूं इस बेरहम जहां को
पर कमबख्त किसी और का होने नहीं देती ।।-