तुम क्या गए
कागज - कलम से भी
जैसे नाता टूटा
कविता तो तुम्हीं थे मेरी
कलम थी चाहे हाथ मेरे,
दिल का साज भी तुम्हीं थे,
धड़कन चाहे थी मेरी
ना वो कविता रही,ना ही
वो धड़कन रही
रही तो सिर्फ तुम्हारी
याद रही,याद रही बस
सिर्फ तुम्हारी याद रही।
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शब्द खुद बाखुद दिल की कहानी बयां कर जाते है।
जिंदगी एक अनसुलझी पहेली
कोई ओर है ना कोई छोर है,
ना कोई रस्ता दिखे
ना ही किसी पे कोई ज़ोर है,
जाए तो जाए कहां
दिल में बस यही शोर है।-
अनुभव नहीं मिलता है आसानी से,
बहुत ठोकरों और असफलताओं की
पूंजी है ये,
बहुत रुलाया है,इसने,
तब कहीं जाकर पाया है इसको,
ग़मों से बहुत गहरा है नाता इसका,
कोई सगा नहीं,कोई पराया नहीं है इसका
अनुभव तो बस अनुभव है,
आसानी से नहीं मिलता किसी को।-
तुम तो खो गए,
इतिहास के पन्नों में,
हम उलझ के रह गए,
यादों के समंदर में।-
तन्हाई महक जाती है,
जब यादों के गुलदस्ते से
खुशबू तुम्हारी आती है,
गुलदस्ते का हर फूल
कहानी कोई कह जाता है।
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अधूरी
बहुत बातें छोड़ गए तुम,
यादें ना जाने
कितनी सारी छोड़ गए तुम,
जीना है अब
बिन तुम्हारे जानते है हम मगर,
कठिन जिंदगी की डगर
छोड़ गए तुम।
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मिले थे, यूं हम के जैसे
जन्मों के साथी है,और
बिछुड़े भी तो कैसे, जैसे
कभी मिले भी ना थे।-