Reeshav Karn   (Shayar ki Zubani)
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Joined 24 March 2020


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Joined 24 March 2020
1 OCT 2020 AT 1:26

यादों के पन्ने समेटे चिरगों को जलायें
रात है काली जुग्नूवों से ताल्लुक बनायें
पल्कें भी हैं बेचैन इस रात के साये से
भला किस किस को हम ये दर्द दिखायें

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24 AUG 2020 AT 21:01

ये सांस न छुट जाये कहीं
ये आस न टूट जाये कहीं

ताउम्र तुझे पाने की जुस्तजू में
ज़िन्दगी खुद से न रूठ जाये कहीं

उम्मीद बरकरार रहेगी आखिरी दम तक
बस तेरा एतबार तुझसे न टूट जाये कहीं

आँखो म़े जूग्नू सजाये हैं हमने मुलाकात के
सिलसिला ये ज़ज्बात का न छूट जाये कहीं

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10 AUG 2020 AT 22:56

तेरे पहलु से लगकर बेज़ार हो गए
इश्क़ के पन्नो पर गुनह्गार हो गए

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10 AUG 2020 AT 7:31

जाने अन्जाने म़े जो हुवा मेरा हाल है
क्या कहूँ ये सब तेरी नज़रों का कमाल है

यू हीं तो नहीं हुए हैं हम चाँद के दीवाने
जो तुमने देख लिया, ये उसी का मलाल है

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5 AUG 2020 AT 0:40

बात नहीं करनी तो कोइ बात नहीं
न हो तुमहारा साथ तो कोइ बात नहीं
गुज़ारा है एक अर्सा हमने तनहाई में
अब ज़िक्र भी न हो तो कोइ बात नहीं

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3 AUG 2020 AT 22:49

बहोत कुछ केहता हुं...
बहोत कुछ सुनता भी हुं
किसी को बुरा न लग जाए
इसिलिए खुद म़े भी झाँकता हुं

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29 JUL 2020 AT 2:29

एक दिल टुट जाने का ग़म कितना करोगे 'रीशव'
इस रबायत से स्नात तो आज सारा शहर है यहाँ

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27 JUL 2020 AT 22:18

अजीब दस्तूर बनाया है हमने जहाँ का
परवाह नहीं हमे उसकी जो पास हैं...
फिक्र में हैं उसकी जीसे परवाह नहीं..

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27 JUL 2020 AT 22:05

बेज़ार तो बहोत दिल हैं इस मेहफिल में...
गर उसका क्या जो हर किसी पे मर-मिटता है

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11 JUL 2020 AT 6:17

चाय जो लबों से होकर दिल म़े उतर जाए
जिसकी हर बूँद कि मिठास सुकून दे जाए

जिसको पीते ही मन्मस्तिस्क के द्वार खुल् जाए
चुस्की भर जिसको नसिब हो उसकी मस्ती होजाए

जिसका नाम भर लेने से मन् म़े उमंग छाजाए
यादों को भी ताजा करने का बहाना दे जाए

अजनबी से भी ताल्लुक का मौका दे जाए
चाय जो लबों से होकर दिल म़े उतर जाए

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