थोड़ा सा फ़ासला रहने दिया,
इस दर्द को हमने दिल को सहने दिया,
ओढ़ के दुनियादारी का घुंघट,
उस प्यार को आंखों से बहने दिया।
उन बिसरी यादों को यादों में ही रहने दिया,
जिदंगी के सपनों को यूँ ही ढहने दिया,
तिल तिल करके बिरह की रात गुजरी
पछतावे की आग में खुद को तपने दिया।-
कहीं तो जिंदगी से कुछ यारी हो
कुछ सुनीं कुछ अनसुनी
पर बातें ढेर सारी हो,
दुनिया की किसे परवाह
बातें सिर्फ मेरी तुम्हारी हो,
चंद लम्हें बीते इक दूजे संग
और जिम्मेदारियों से कुछ गद्दारी हो|-
आसमां की गोद में
चांद को पिघलते हुए देखा है,
तेरी बाहों में मैंने खुद को
महकते हुए देखा है,
खुशबू की चाहत में
फूलों को मसलते देखा है,
मैंने तेरे साथ, इस
राख को जिस्म में बदलते देखा है|
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शोर में छिपे सन्नाटे को नहीं जानती
जो दिल दर्द दे गया है,
उस दर्द को नहीं पहचानती|-
हम अपने दिल का फसाना......क्या लिखें?
अधूरे इश्क़ का अफसाना........क्या लिखें?
तुम्हारा दर्द भरा नजराना...... क्या लिखें?
उस पर तंग दिल जमाना...... क्या लिखें?
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जहाँ से तेरी बातें शुरू होती हैं,
वही से रातें खुबसूरत शुरू होती हैं|-
इश्क़ समंदर इतना गहरा
कोई पार न लग पाएं,
जो जो तैरे, वो वो डूबे
कछु न समझ पाएं|-
उस मंजिल का पता
जहाँ सिर्फ मैं हूँ
और
दुनियादारी हो जाए लापता,
अभी भी ढूंढ रही हूँ
सुकून से भरी मंजिल
अगर कोई हो तो
ऐ रास्ता, मुझे
उसका पता बता|
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क्या जरूरत है मुझे गले लगाने की?
क्या जरूरत है मुझे मनाने की?
क्या जरूरत है मेरा हमदर्द बनने की?
हो सके तो दुनिया से छुपा लो,
इस नामुराद इश्क़ को,
क्या जरूरत है इसको नज़र लगाने की?-
तेरी खामोशी ये कहती है,
तेरे दिल में एक चुभन सी रहती है,
तेरे ईक दीदार से समझ जाते है,
तेरी आँखों की भाषा, और तू
हंसते हुए हर दर्द छुपाती है|
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