क्या आप जानते हैं कि आपकी पहचान क्या है?.. यदि आप सोचते हैं कि शरीर आपकी पहचान है... तो यह आपको समझना है... "यह शरीर एक कार है...आपकी सुविधा के लिए,एक ऐसी चीज जिसे आप एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए इस्तेमाल करते हैं।" पर यह आपकी पहचान नहीं..
"भाग्य और स्वेच्छा" जीवन दोनों का मिश्रण है! कुछ बातें तुम्हारे वश में नहीं है, वो भाग्य है! कुछ चीजें तुम चुन सकते हो, वह स्वेच्छा है!... वर्षा का होना भाग्य है, उसमें भीगना या न भीगना तुम्हारी स्वेच्छा!... भूत को भाग्य मानो, भविष्य को स्वेच्छा और वर्तमान में प्रसन्न रहो...