वो तो बीते पन्ने हैं
ज़िन्दगी की किताब के
जो अतीत में ही सिमट कर रह जाएंगे....-
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बचपन के दिन भी क्या हुआ करते थे,
मुँह टॉफ़ी से और,
हाथ मिट्टी में भरे हुआ करते थे|
बचपन के दिन भी क्या हुआ करते थे,
सुबह स्कूल में और,
शाम गलियों में घुमा करते थे|
बचपन के दिन भी क्या हुआ करते थे,
आँखे सपनो से और,
दामन खुशियों से भरे हुआ करते थे..
Happy Children's Day-
मेरी खामिया देखने वाले तो बहुत मिल गए,
अब तलाश है केवल मेरी खुबिया देखने वाले की.....-
इस दशहरे मेरे भाई,
बस इतना सा तू काम कर,
बैठा है जो मन में तेरे,
उस रावण का सर्वनाश कर...
Happy Dusshera-
ये रात भी अलग सा पैगाम लाती हैं,
आने वाली रोशनी की उम्मीद दे जाती हैं...-
पर तू कुछ अपना सा लगता हैं,
जब गमो का हो साया मुझपे,
तेरा साथ सच्चा सा लगता हैं....-
देखा जो आइने में खुद को
तो तेरा अक्स नज़र आया,
करने लगे जो गुफ्तगु किसी से
तो हर लफ्ज़ में तेरा वजूद नज़र आया....-
चाँद को चाँदनी चाहिए होती हैं,
सूरज को रागिनी चाहिए होती हैं,
हम तो ठहरे बेमलंग मुसाफिर,
हमें तो कंधे पे बस्ता और,
हर दिन एक नए सफर की,
शुरुआत चाहिए होती हैं...-
सोचती हूँ वक़्त से कुछ पल चूरा लू,
सपनों में ही सही कुछ पल के लिए,
तुम्हें अपना बना लूँ......-