कुछ सहमी सी थी
तुम्हारे घर आई
अचानक तुम्हे सामने देख
कुछ घबराई थी
कहना था बहुत कुछ तुमसे
कह न पाई थी
चारों और सबसे
बाहर न आ पाई थी
एक चाय की प्याली
तुम्हारे साथ चाही थी
कुछ देर बाद
किसी बहाने से
तुम्हारे पास आई थी
पर तुम
खुद में इतने मशरूफ
एक झलक न दिखाई थी
फिर हार मैं
वहां से चली आई थी
तुम्हारी शिकायत थी मुझसे
क्यूं न मैं तुमसे
बात कर पाई थी
मैने भी कह दिया
तुम्हे मेरी बात कहा
समझ आई थी
कुछ सहमी सी थी
जब तुम्हारे घर आई
तुम्हारे घर आई।।
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मोह बंधन के इस संसार से,विरक्ति पा जाऊं।।
हर हर महाद... read more
पहली मुलाकात
आज भी याद आती है
यू अचानक से
तेरा सामने आना
मेरी धड़कनों का
बढ़ जाना
चुपके से
तेरी और देखना ,
पलके झुका
मेरा शर्माना
तुम्हारा मेरे करीब आना
एक सरसराहट सी
मुझमें कौंध जाना
मेरा हाथ पकड़
वो बात कह जाना
जिसे सोच सोच
मेरा यू मुस्कुराना
आंखों में तेरी
हंसी का बस जाना
वो बातों का
सिलसिला शुरू हो जाना,
वो पहली मुलाकात का
किस्सा बार बार याद आना
बार बार याद आना।
-
वो कहता था
मैं हूं न
हर वक्त तेरे साथ
हर मोड पर
तू जी अपनी जिंदगी
अपनी शर्तों पर,
कर पूरी अपनी
ख्वाहिशें
बिना किसी डर के,
तितली बन
उड़ हवा में
खुली हवा में
जी के देख
वो कहता था
मैं हूं न
एक रोज
दौर बदल गया
साथ न रहा
वो सख्श
जो कहता था
मैं हूं न
तेरे साथ
इस अंधेरे में
छोड़ वो चल गया
मैं जीती हूं उन
टूटे ख्वाबों के साथ
जो कहता था
मैं हूं न ।।-
तेरे हाथों की गर्मी
छुए मेरे बदन को इस कदर
एक एक अंग जल उठे
तेरे एहसास को,
तेरी उंगलियों का
मेरे जिस्म पर इठलाना
सर से पाव तक
हर एक अंग को छू जाना,
करधनी पर तेरे होंठों का स्पर्श
मेरी सिसकियों का बढ़ जाना
जोर से मुझे यू आलिंगन कर
अपनी और खींचना
दो जिस्म को एक रूह कर जाना,
मेरी खुली जुल्फों को
तेरी उंगलियों से संवारना
तेरे होंठों का स्पर्श दे
मुझे मदहोश कर जाना,
प्रेम का संभोग में
परिवर्तित हो जाना
मेरे जिस्म की गंध का
भोग कर जाना,
कांति में डूब
मेरे अंगों का इस कदर
संभोग की प्यास से
तृप्त हो जाना,
पूर्णतया के और ले मुझे
तृप्ति का स्पर्श से
शून्य कर जाना।।
🖊️ Avra-
इश्क
तुमको भी था
हमको भी।
इश्क़ बेपनाह था
हमको तुमसे
तुमसे हमको भी।
इश्क़ में हदें पार
तुमने की
हमने भी।
मसला था ......
साथ निभाने का
वो गलती
तुमने नहीं
हमने की
यू मुझे बीच राह
छोड़ कर जाना
मेरे इश्क़ का यू
जनाजा बनाना
ये गलती तुमने की।
इतनी बेरुखी से
मेरे इश्क़ की
मैय्यत पर मुस्कुराना
वो गलती तुमने की।
और तुझसे इश्क़
करने की गलती
हमने की
हमने की।।
RB (Avra)
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मुद्दत सी लगती है
तुझसे बात हुई,
तू इस बात से कितना अनजान है,
क्या कहूं तुझे फर्क नहीं पड़ता
या मुझसे परेशान है....-
खुशियां लाया है
मेरे जन्मदिन का
पैगाम लाया है
कितनी हसरतें है तुमसे
सितंबर ये एक नया
ख्वाब लाया है।।
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इस कदर
बैचेन कर जाते हो तुम
जैसे.....बिन पानी
मछली तड़पा करती है
तुम से जुदा हो
रूह तड़पा करती है।।
-
तरसते है तेरी निगाहों से
पीने के लिए साकी
तलब तुझे नहीं लगती
या मुझे ज्यादा है।।-