reema bhardwaj   (Preeti Bhardwaj)
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Student
Joined 21 December 2019


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Joined 21 December 2019
30 JUN AT 2:32

अगर खुदा इक आखिरी मौका दे मुझे
मिलने को तुझसे
और कहे, जा मिल ले अपनी मोहब्बत से पहले की तरह
इक आखिरी बार कर देता इनकार मैं।
क्यों? कहता... अपने खुदा से,
गर देना ही है मौका?
तो दे बदल तकदीर मेरी,
कहता... तू बदल...
उस मंज़र को हुए जहां अलग हम
तू बदल वो लम्हा...
जिसमे रहना अकेले मुझे
तोड़ वो सारी बंदिशें जो लगाई तूने...
लिख तकद़ीर मेरी साथ उसके
ना उलझा और मुझे अपने जाल में।
देख रहा है ना तू... हूं बेहाल मै।
लौटा दे उससे पूछता जो हाल मेरा
जी लूंगा मैं बिन तेरे मगर
इक आख़िरी बार कर उसे मेरे हवाले तू...

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15 MAY AT 1:14

कहता तू ही है, जिसने बोलना सिखाया मुझे
तू है जिसने हसना, रोना, नाराज होना, गुस्सा करना सिखाया।
तू है, जिससे मिली वजह खुद को जिंदा करने की,
तू है जिसके लिए मन करता है करते जाऊं बिना मांगे सब।
तू है जिसे डरता खोने से रोता जुदा होने से।
मांगता दुआएं तेरे साथ होने की।
मगर, वो यह क्यों नहीं बोलता
कि तू ही है जिसे पाकर भी ना पाना है नामुमकिन।
जिसे चाहता है दिल पर, अपना नहीं सकता
हां,तू ही है वो जिसे भुला देने में ही है भलाई
तेरी और तेरे चाहने वालों की।

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15 MAY AT 0:05

कहते हैं, अगर जिस्म की आदत लग जाए, तो अनाज की भूख मर जाती है।
कुछ लोग यह भी कहते हैं कि बिन खाए जिस्म किस काम आए
हां, सही कहा लेकिन कई बार हम भूल जाते हैं
कुछ आदतें बुरी भी होती हैं
और वो है किसी को बेइंतहा चाहने की आदत
ग़ालिब तो यह भी कहते हैं कि, ज़हर बिकता नहीं ज़हर बनाया जाता है।
ज़हर मिलता नहीं, ज़हर दिया जाता है
असलियत में ज़हर कुछ होता ही नहीं
अगर कुछ होता है, तो वो है बेपनाह, बेबुनियाद, बनाम, रिश्ते की डोर
जो जुड़ी होती है उस शख्स से जिसे मोहब्बत कहा जाता है।
वो जिसके बिना ज़िंदगी मौत से बदतर है,
वो जिसके साथ होने से जन्नत भी फ़िजूल है,
फिर भी हम उसी डोर से बंधे रहते हैं
जो हमें दर्द देती है, जो हमें तोड़़ती है
लेकिन, हम फिर भी उसे छोड़ नहीं पाते
क्योंकि, इश्क का भूत तो हम पर सवार था।
उन्होंने तो पहले ही हमें बोल दिया था।
आदत नहीं जरूरत है हम जो पूरी होने पर खत्म हो जाएगी।
आदत नहीं, जिसके बिना जिंदगी अधूरी रह जाए।

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31 MAR AT 14:05

It's been a year now,
And i couldn't understand
Where he was gone?
Although i know he remains by myside
Who has learned to live because of me
& want me in his every moment of life
"Life is More beautiful than we think"
But, I'm stuck here at the middle of life
Where I can't go & I won't let him to go
But, I've to go
And one day he will realize my leaving was necessary for his success.
After all life doesn't revolve around our wishes
"The moments are unpredictable sometimes people met to be apart from each other"

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20 OCT 2024 AT 13:15

।।ज़ख्म।।
ज़ख्मों को हरा कर जाता यार मेरा,
कहता है तरसता दीदार को मेरे
कम्बख्त जानता, था हमें ऐतबार उनपे
जिसकी पड़ी तकरार हममें 
हुए बेकरार तेरी जुदाई से 
आख़िर कर बैठा प्यार उन्हें...
 करते जो दावा प्यार का हमसे।

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15 OCT 2024 AT 0:50

।।दे रिहाई उन्हें।।
वो कहते थे दो माफ़ी हमें
पल भर की ही सही...
आखिर थे जो बेपरवाह हम
बेख़ौफ़ दे दिया करते माफ़ी उन्हें ।
कई साल चला ये सिलसिला भी
फिर आया वो दिन भी...
थे डरते जिसके ख़याल से हम
इक आखिरी बार माफ़ी मांगी हमसे
इश्क़ में चूर लफ़्ज़ों ने कुछ न कहा
दे दी रिहाई उन्हें, बदले में जुदाई हमें ।

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1 OCT 2024 AT 22:48

।। कमबख़्त इश्क़ ।।

थे पराए दोनो जब
जानते नतीजे़ अपने
फिर भी कर बैठे चाहत वो
कमबख़्त जानते थें, वजूद अपना
न जाने क्यों दुखाया दिल को
थे जिनकी धड़कन वो
अब तो ये जिस्म भी अपना न रहा
थे जिनकी रूह वो
कहते थे आना था हमें न जाएंगे कभी
ढूंढ़ रहे हैं आज भी उन्हें
जिस्मानी नहीं थे रूहानी वो।

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11 AUG 2024 AT 22:41

बेशूमार इश्क़...
तू चाहत है मेरी
है कोई लिबास नहीं
तुझे देख मिलता सुकून
रखलू छुपाके सबसे दूर तुझे
थी तमन्ना इक आख़िरी यही
लेकिन ज़माने का दस्तूर तो देख
आज बना लिबास मैं
अपनी बेशूमार चाहत का
हूं बेजान मैं अपने हि वीरान में
ढूंढता उस लम्हें को
खो चुके हम दोनों जो
लौट आ वापस तू भूल सबको
चल कहीं दूर इस मतलबी दुनिया से
रख चाहत मेरी तु , हो सिर्फ मेरी तू
मांगता हूं माफ़ि अपने गुनाहों की
दे मौका इस रिश्ते को
कर अधुरी मोहब्बत को पूरी तू।

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2 AUG 2024 AT 23:25

।बेशूमार इश्क़।
तू चाहत है मेरी
है कोई लिबास नहीं
तुझे देख मिलता सुकून
रखलू छुपाके सबसे दूर तुझे
थी तमन्ना इक आख़िरी यही
लेकिन, ज़माने का दस्तूर तो देख
आज बना लिबास मैं...
अपनी बेशूमार चाहत का
हूं बेजान मैं अपने हि वीरान में
ढूंढता उस लम्हें को
खो चुके हम दोनों जो
लौट आ वापस तू भूल सबको
चल कहीं दूर इस मतलबी दुनिया से
रख चाहत मेरी तु, हो सिर्फ मेरी तू
मांगता हूं माफ़ि अपने गुनाहों की
दे मौका इस रिश्ते को
कर अधुरी मोहब्बत को पूरी तू।

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2 AUG 2024 AT 17:04

ठहराव
कहते हैं 'ठहराव' ज़रूरी है
हाँ, सच कहते है
एक उम्र बीत गई
याद में उसके.
एक उमर थी
जो बिताई साथ उसके..
एक उमर बीताना चाहा
हमने साथ उसके...
मगर, हो ना सका
जो भी चाहा इस दिल ने
है अगर ठहराव यही,
तो गलत है वो सभी
कहते है जो, ठहराव है सही
क्यूंकि चाहत है प्रेमी की
और प्रेमी की बेपनाह चाहत
सबसे अनमोल तोहफ़ा है
दुसरे प्रेमी को।

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