RECLUSE _01   (RECLUSE)
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Joined 9 May 2021


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26 MAR 2024 AT 1:35

अगर शुरू से शुरु करूँ


तो इस बार मिरी हो जाओगी क्या...?

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20 SEP 2023 AT 22:40

ऐहतराम कों तिरे यह मिरी खामोशी बहाल की जाएगी...

यह दुनिया नासमझ है सवाल किये ही जाएगी....

पूंछू जो अब कैफ़ियत तो यह तिरी फिक्र कही जाएगी ...

पर तिरे जिक्र बैगर तो यह कहानी अधूरी रह जाएगी...
RECLUSE_

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6 MAY 2023 AT 12:30

यह जिंदगी तिरे साथ बसर करने का इरादा है....
तिरा होना जरूरी मिरी जरूरत से ज्यादा है....

तिरे आसपास ही रह जाऊं गुलिस्तां बन कर....
खुशबू सा तिरी सांसो में घुलने का इरादा है....

कोई उम्मीद बर नही है तुझसे. मिरी ख्वाहिशे थोड़ी ज्यादा है....
एक टक तुझे देखता रहूँ मैं. मिरी निगाहों को तू भाता है....

तिरा हो कर रह जाऊं कहीं. दिल इतना बस चाहता है....
साथ ना छोडूंगा तिरा कभी. मिरा तुझसे ये वादा है....

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21 APR 2023 AT 22:32

तू हर सुबह का पहला ख्याल कैसे हो सकता है...
तू तो मुझमे है खुद से सवाल कैसे हो सकता है...
मौजूदगीया तो बोहोत है इस महफ़िल-ए-जिंदगी में...
इन मौजूदगियो मे तू सबसे ज्यादा मौजूद कैसे हो सकता है...

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25 MAR 2023 AT 15:36

I'll treat you right...  I'll hug you tight...
Will say sorry everytime after every fight...
Will make you smile Rather it's day or night...
Forehead kisses far  better than love bite...

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13 MAR 2023 AT 21:13

महफ़िल अपने शबाब पर थी और शमाये सारी रोशन....

खूबसूरत से लिबाज़ में ख़ुश-कलाम ख़ातून ने हमसे फ़रमाया...
"बैरागी" क्योँ पढ़ते हो इतना दर्द...

हम भी मुस्कुराएं और कहाँ...
'मोहतरमा'

मुहब्बत को अल्फाज़ो से नवाज़ता हूँ...
शायर हूँ मैं दर्द में ही सुकूँ तलाशता हूँ...

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21 OCT 2022 AT 22:22

बयां होती है हर बात लिखकर मिरी....

छोड़ कर बेजुबाँ कर गए हो तुम....

मैं ऐसा पहले कभी था नहीं....

जैसा मुझे अब कर गए हो तुम....

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19 JUL 2022 AT 19:56

उल्फ़त बदल गई... कभी नीयत बदल गई...
खुदगर्ज़ जब हुऐ... तो फिर सीरत बदल गई...
अपना क़ुसूर दुसरो के सिर डाल कर.....
कुछ लोग सोचते हैं... हक़ीक़त बदल गई...

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2 MAY 2022 AT 7:05

हो इजाज़त तेरी ख़ुदा...
मैं इतनी ख़ैर बना लूँ...

इस दफा इफ्तारी से...
उसकी झूठी खीर चुरा लूँ....

अब्र में देख अक़्स उसका जश्न मनाएंगी दुनियां.....

लगकर गले उसके मैं…
इसबार अपनी ईद मना लूँ...

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19 APR 2022 AT 23:08

मैं इक शख्स के ख्यालातों से क्या मुतासिर हुआ....
अब वो शख्स ख़्यालों से जाता नहीं मिरे....

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