मैं जैसे-तैसे आ गया तेरे प्यार से आगे,
मगर निकल पाया नहीं तेरे याद से आगे,
सोचा था कि दुनिया तेरे साथ देखू मैं,
मगर निकल पाया नहीं कदम धनबाद से आगे,
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मैं जैसे-तैसे आ गया तेरे प्यार से आगे,
मगर निकल पाया नहीं तेरे याद से आगे,
सोचा था कि दुनिया तेरे साथ देखू मैं,
मगर निकल पाया नहीं कदम धनबाद से आगे,
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तुम अपनी दुनिया में खुश हो, मुझे खुशी है
तुम सबकुछ भूल गई हो, मुझे खुशी है
याद तुम आ रहे हो बहुत, याद है
पिछली होली में साथ थे तुम, याद है
तुम कहते थे कि मैं सिर्फ तुम्हारी हू,
लो देखा मैंने आज भी तुमको खुश, मुझे खुशी है
जो कहती थी अकेले तुम हो नहीं, याद है
आज तन्हा हो कर भी तुम साथ नहीं, याद है
जिसको सारी दुनिया माना वो खुश हो, मुझे खुशी है
बेहद बेपरवाह बेपनहा मैंने भी चाहा तुमको,
तुमने हाथ छोड़ कर थामा किसी का खुश हो, मुझे खुशी है
तुम मुझसे दूर रह कर खुश हो, मुझे खुशी है...-
कि कल तक कोई था नहीं साथ मेरे,
आज से तुम और तुम्हारा साथ है,
काली काली रातों में ढूँढता था जिससे,
वो रास्ता गलत था और मंजिल भी मेरे...
खूब बिखरा सीने से दुख ज़मीन पर,
आँखों से दर्द बेह रहे थे,
तुम तो जा चुकी हो किसी और के पीछे,
मैं हर यादें संजोए रखा हू जो भी थे साथ मेरे...
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कि अभी तक तुम्हें जाना ही नहीं
समझा ही नहीं,
ना तुमने मुझे अभी तक सोचा ही नहीं
परखा ही नहीं,
लो फिर भी ये दिल काबु में रह सका नहीं
कह सका नहीं,
कि अब कह देता हूं तुम भा गई हो इस दिल को
जो कुछ सोचा ही नहीं
समझा ही नहीं,-
बिखरना था मुझे,
ये वास्ता था तुझे,
डूब कर भी मैं निकाल ना पाया,
ये कैसा मोहब्बत है मुझे,
उठ गए कदम बहका गया मुझे,
तेरे जादू का असर ना जाने क्या क्या करवाया मुझे,
तुम दूर ही हो मैं अलग नहीं मानता,
कोई पूछे मुझसे मैं खुद को तेरा बताता,
आज तेरे शहर में हु पर तू नहीं साथ मेरे,
मेरी किस्मत तो वही पर लकीरों में तुम नहीं...-
तुमको पाने की, बेहद कोशिश की थी हमने, पर।
वक्त मेरे पास था नहीं, और तुम मेरे हुए नहीं ।।-
राज़: किस्मत लकीर और तेरा साथ चाहिए,
ज़िंदगी जीने के लिए बस शराब चाहिए,
होकर जुदा ग़र तुम चली जाओ कभी,
एक चुटकी जहर बस तेरे हाथों से चाहिए..
कि लगता है तेरी खुशी का कोई विकल्प हू मैं,
बस अब मैं नहीं हु और ना तुम चाहिए-
तेरी याद की, ये धड़कनें जब सो गई।
मेरी चार बूंदें, आसुओं की खो गई। ।
दिन तो निकलते जाते है, यह दिल की चोट निकल ना सकीं,।
बहल सका ना मैं भूल सका, मेरी दुनिया हाय बदल ना सकीं। ।
तुझ को याद ना करने की, मैं सो-सो क़समें खाता हू ।
खयाल में आते रहते हो, नाम जुबा पर ना लाता हू। ।
किसको बताऊ अपने मन की, क्या-क्या दुःख में झेल रहा।
याद तुम्हारी मेरे लिए, एक आंसू-हंसी का खेल रहा। ।
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फिर से किसी को चाहने लगा था,
फिर से वही गलती दुहराने चला था,
अच्छा हुआ तुमने ही बता दिया,
नहीं तो... फिर एक बार किसी पर मरने चला था।
---- rebert raaz-