ऋcha   (ऋcha)
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Joined 2 June 2020


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1 OCT 2023 AT 11:35

मैंने ही लिखा
और मेरे ही नाम
ये याद दिलाने को की
'मैं' तो अलग थी सबसे
फिर आज
क्यों बन गई हूँ 'उन्हीं सब जैसी'

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1 OCT 2023 AT 8:10

खामोश रहने दो अभी हमें
वक्त आएगा
दुनिया समझेगी ये खामोशी भी

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1 OCT 2023 AT 8:03

मेरी आँखो की चमक अब तुम्हें फीकी ही लगेगी
इस हुस्न की झलक भी तुम्हे कहीं ना मिलेगी
तुम्हारे मन को बहका देने वाली खुबसूरती
अब तो केवल इन लफ़्ज़ों में ही आहें भरेगी
नूर ना पता पर बन गया है ये चेहरा ध्रुव का तारा
जिसे देखकर पाने की तमन्ना‌‌ तुम्हारे दिल में हर बार उठेगी

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27 AUG 2023 AT 20:27

सात फेरों की ये रस्में
तोड़ देती है एक स्त्री को
छीन लेती है आजादी उस से
उसी के अस्तित्व की |
खोखला कर देती है भीतर से
और बहुत थका भी देती है
सात फेरों की यही रस्में |

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12 APR 2023 AT 9:09

समेटते समेटते
खुद कब बिखर गए
पता ना चला

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4 DEC 2022 AT 20:10

भोले का साथ हो
मेरे सर पर उनका हाथ हो

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4 DEC 2022 AT 20:06

दे दर्द अपार
चुभते ख्वा़ब
टूटे कई बार

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3 DEC 2022 AT 15:19

लोगों से पहले खुद से लड़ना पड़ता है

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24 NOV 2022 AT 15:21

सुनो,
मुझे पढो़, मेरे भीतर छिपे जज्बात समझो
जज्बातों में छिपी खामियों को नहीं।।

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24 SEP 2022 AT 9:59

हँसते मुस्कुराते देखा आज
पचपन में बसे एक बचपन को
वरना अब तो
ना बचपन रहता है
ना पचपन तक एक इंसान
😔🤐😔

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