ख़ुद ही से जीतने की ज़िद हैं मेरी,
मुझे खुद को ही हराना हैं ।
मैं भीड़ नहीं इस दुनिया की,
मेरे अंदर खुद एक जमाना हैं ।-
एक बात बताओ 👩🏫
अगर तुम्हारा पहला प्यार सच्चा हैं तो दूसरा साथ क्यों हैं,
और अगर दूसरा प्यार सच्चा हैं तो पहला याद क्यों हैं ।
🤔🤔🤔🤔🤔-
पीठ हमेशा मज़बूत रखनी चाहिए क्यूंकि शाबाशी हो या धोखा दोनों हमेशा पीछे से मिलता है
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वक़्त के साथ चलना पड़ता हैं,
न चाहते हुए भी खुद को बदलना पड़ता हैं,
नहीं निभा सकता कोई साथ उम्र भर आपका
दिल को हर वक़्त अब ये समझाना पड़ता हैं,
जब आप का रिश्ता किसी के पैरों की बेड़िया बनने लगे,
तब उन्हें इस बोझ भरे रिश्तें से आज़ाद करना पड़ता हैं,
स्वलिखित
रायला अम्बर ✍-
शिक्षा की बुनियाद होता हैं शिक्षक,
शिक्षार्थी की आस होता हैं शिक्षक ,
देकर विद्या का ज्ञान बच्चो के भविष्य को अंधकार से बचाता हैं,
खुद मे संपूर्ण ज्ञान का भंडार होता हैं शिक्षक,
- Rayla Amber
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अपनी मोहब्बत को दुनिया से विदा करने मे इतना दर्द नही होता,जितना उसके बेवफा होने पर होता हैं।
दुनिया से जाने वाले की विधवा बन के शान से जीवन बिताया जा सकता हैं, पर अपने ही प्यार को अपने सामने किसी और की बाहों देखना बर्दाश्त नही होता हैं ।-
#बेवफा यार #
बेवफाई तो तेरी फितरत थी, हम उसे ही अपनी मोहब्बत समझ बैठे ।
जो कभी मेरा था ही नहीँ,हम उसे ही अपनी किस्मत समझ बैठे ।
तु फिरता रहा भौवरा बन कर हर एक कलियों का, और हम तुझे मोहब्बत का खुदा समझ बैठें ।
तेरा प्यार कल भी वो थी,आज भी वो हैं और शायद हमेशा ही रहेगी,
हम तो यु ही तुझे अपना शौहर समझ बैठे ।
कभी ख्याल तुझे मेरा आया नहीं,कभी साथ तूने मेरा दिया नही,
हम तो यु ही इसे एक अहम रिश्ता समझ बैठे,
इस्तेमाल करता रहा तु मुझे अपनी जरूरतों के हिसाब से,और साथ हमेशा उसका देता रहा.
इस बेवफाई के बंधन को ही अब हम अपना मुकद्दर समझ बैठें ।
नाज़ था मुझे खुद पर, तेरी मोहब्बत होने का,
आज कोसती हूँ उस घड़ी को जब तु मुझे मिला था,
क्योंकि तेरे जैसे दगाबाज को हम अपना हमसफ़र समझ बैठे ।
- Rayla Amber
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#Hindi Medium #
हाँ हूँ मैं हिंदी मीडियम से पढ़ी तो क्या,वक़्त के साथ चलना जानती हूँ।
वैदिक ,बौद्ध, मध्य काल से लेकर नई शिक्षा नीति तक को पहचानती हूँ।
कब आया मैकाले भारत और कैसे उसने अंग्रेज़ी शिक्षा हम भारतीयों पर थोपी,
कैसे मिटाया उसने हमारी संस्कृति को,ये सब भी मैं जानती हूँ ।
हिंदी मेरी मातृ भाषा हैं, गर्व हैं मुझे अपने हिंदी मीडियम होने पर,
English medium का दिखावा करने वाले लोगो को भी अच्छे से पहचानती हूँ ।
जिन्हे अपनी मातृ भूमि से सच्चा प्रेम हैं वो कभी भी अपनी भाषा का अपमान नही करते हैं ।
ये भी मैं अच्छे से जानती हूँ ।
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बेवफ़ाई जिनके खून में शामिल हों,
उनसे वफ़ा की उम्मीद करना बेवकूफी हैं ।
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चंद english के word बोलने पर जिन्हे English medium होने पर घमंड हैं, अरे जरा देखे खुद को आईने मे उनसे कहीं ज्यादा तो पढे लिखे हम हैं।
😇😇😎-