खेर फैसले अपने-अपने ही सही
जाने दो अब वो सब सपने ही सही।-
तुझसे मिलने के लिए ए शख्स में इंतज़ार में था
तू अपनी फितरत में था और मक्कार भी था।-
शायर की शायरियों से यह "इश्क़" का कहर बरसने लगा है
किसी को इश्क़ किसी को शायर अब "ज़हर" लगने लगा है।-
लफ्ज़ की कीमत है,हालत-ए-हाल की चुप्पी है...
सही वक़्त होगा
इस खुले आसमान के नीचे मेरा आशिया बोलेगा-
कोई ज़िन्दगी में तकलीफ के सन्देश भेज रहा है
और पिता शहर की भीड़ में बच्चों के लिए सुकून खोज रहा है।
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ख़तम हुई दर्द से दो ज़िंदगी कुछ इस तरह
अब ऊपरवाला "इंसान" से डर रहा होगा।-
यादें हमारी वो "तारीख़" से याद रखते हैं
कीमत-ए-जज्बात तो है नहीं।
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ईट पत्थरों से नहीं बनता दिल का आशियाना
यह मुनाफ़िक़ों का शहर है बच के रहिएगा
यहां कोई भी मुस्कुरा कर सौदा कर देता है।-
जीने का सलीक़ा कुछ ऐसे सीखा मेंने
एक आंधे से देखना सीखा मेंने।
सब नुमाइश कर रहे हैं देखने की
यह बात समझते-समझते ज़िंदगी बीत जाती है।-