RAWANI SONU SINGH   (Rawani Sonu Singh)
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Joined 23 May 2020


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Joined 23 May 2020
2 OCT 2023 AT 2:00

Believe on supreme power makes us more fervent.

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20 SEP 2023 AT 6:58

इश्क़ की अदालत में हमें ज़मानत मिलती भी कैसे,
वो साला जज भी उसका आशिक़ निकला।

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27 MAR 2023 AT 6:51

If life gives you a chance, the rule is simple, capitalize it. Because, everyone is not lucky enough to get it.

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7 MAR 2023 AT 10:57

हमनशीं की महफिलों में खुशियों की झड़ी थी,
एक मैं था, एक तू था फिर कहां कुछ कमी थीं।

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1 MAR 2023 AT 16:12

मुर्शीद, उसकी इल्म भी कितना अज़ीज था,
वो बात चिंगारियों की कर रही थीं,
और मैं अंगारों के बीच था।

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14 JAN 2023 AT 14:52

अपनी जन्मदिन की पवित्रता की थोड़ी बखान करता हूं,
इस दिन को अपना देह त्यागने वाले उस गंगा पुत्र भीष्म पितामह को शत् शत् प्रणाम करता हूं।
मकर संक्रांति, लोहरी, पीहू, पोंगल या उत्तरायण,
हां मैं करता हूं नए साल में उल्लास का आह्वान।
चूड़ा-दही, गुड़, तिलकुट और ये पतंग,
मनचली सुबह, सुहानी शाम और ये रातों की ठंड।

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13 JAN 2023 AT 2:00

तुम शहजादी लफ्ज़ों की,
मैं बादशाह ख़ामोशियों का।

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11 DEC 2022 AT 19:41

भावना, कुर्रता, या हैं रहस्यमयी दास्तान,

रणभूमि, ज़िंदगी, या हैं ये खेल का मैदान।

गिरना, टूटना, या हैं सामर्थ का परमाण,

लड़ना, हारना, या हैं ये विधि का विधान।

विजय उन्हें मुबारक हों, जिसने लड़ना अर्जुन से सीखा हैं,

हां, हां हमने तो लड़ते हुए उस कर्ण को भी देखा हैं।

योद्धाओ के सामर्थ को कौन अनदेखा कर पाया हैं,

कर्ण की हार के आगे खुद उस विधाता ने भी सर झुकाया हैं।

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20 NOV 2022 AT 1:21

जो मुकद्दर में न हों,
वो कहां किसी को मिल पाया हैं।
मानना पड़ेगा इन लकीरों को भीं,
हर तरह से हमें आजमाया हैं।

ज़रा नुमाइश करें इन कुर्बातो की,
ख्वाबों के बहाने हमें, हमारे औकात बताया हैं।
अब इख़्तियार भी क्यों करे इन गर्दिशों पर भीं,
रंजिशो से वाक़िफ भीं हमें तो, खुद ख़ुदा ने करवाया हैं।

ख़ैर क्या शिकायत अब उस खुदा से भीं,
उसने ही तो यहां तक पहुंचाया हैं,
शायद कुछ रहस्य छुपा हो उसकी योजना में,
भला उनको कौन समझ पाया हैं।



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7 NOV 2022 AT 20:30

अब जुर्रत नही मेरे शब्दों में, कि तेरे यादों को इन काव्यों में पिरो सके।
तेरी यादें तो तुमसे भी ज्यादा घातक हैं।

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