एक बार एक अंग्रेज व्यापारी महाराजा कृष्णकुमारसिंहजी के पास आया और उनको अपने पॉटरी के नए बिज़नेस के बारे में बातें शेर की। जब कृष्णकुमारसिंहजीने पॉटरी के बारे में उस अंग्रेज के साथ बड़ी गहराई और जानकारी के साथ बात की तो वो अंग्रेज अचंभित रह गया और उसने बिज़नेस में साझेदारी करने का महाराजा को निमंत्रण दे दिया। तब कृष्णकुमारसिंहजीने कहा, कि 'हमारे यहाँ एक कहावत है, कि जिसका राजा व्यापारी, उसकी प्रजा भिखारी और में अगर व्यापार करूँगा, तो मेरे राजा रहते कोई दूसरा मेरे सामने वो व्यवसाय विशेष नहीं करेगा और जब दो व्यावसायिकों के बीच में अगर स्पर्धा नहीं होगी तो ग्राहकों को कोई फायदा नहीं मिलेगा। इसलिए मैं इस व्यवसाय में आपसे साझेदारी नहीं कर सकता (फिर उस अंग्रेजने भावनगर राज्य के किसी व्यावसायिक के साथ साझेदारी करके, भावनगर के नजदीक स्थित शिहोर शहर में खोडियार पॉटरी के नाम से फेक्ट्री बनाई थी।)। आज राजनीति में रहकर जो लोग व्यावसाय कर रहे है उन्हें और व्यवसाय के लिए जो लोग राजनीति में प्रवेश कर रहे हैं उन्हें इस प्रसंग से कुछ बोध लेना चाहिए।
प्रातःस्मरणीय महाराजा कृष्णकुमारसिंहजीको ग्रगोरीयन कैलेन्डर के मुजब जन्म जयंती पर वंदन🙏🚩
ले:- रणधीर झाला— % &
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