मौन शब्दों से सजे, गीत जो गाता हूँ,तनहाइयों में, ख़ुद ही को सुनाता हूँ,अन्धेरे रहगुज़र पर, रौशनी के लिए,मन की ज्वाला से, दिया जलाता हूँ!(रहगुज़र=रास्ता) -
मौन शब्दों से सजे, गीत जो गाता हूँ,तनहाइयों में, ख़ुद ही को सुनाता हूँ,अन्धेरे रहगुज़र पर, रौशनी के लिए,मन की ज्वाला से, दिया जलाता हूँ!(रहगुज़र=रास्ता)
-
मुझे हैरान रहने दो,मुझे परेशान रहने दो,मैं इस दौर के काबिल नहीं,मुझे बस इंसान रहने दो! -
मुझे हैरान रहने दो,मुझे परेशान रहने दो,मैं इस दौर के काबिल नहीं,मुझे बस इंसान रहने दो!
इंसान को चाहिए... जो उसके पास नहीं है, जो हासिल है उसे, उसका एहसास नहीं है! -
इंसान को चाहिए... जो उसके पास नहीं है, जो हासिल है उसे, उसका एहसास नहीं है!
वो जो भी करता है ... जानकर करता है,मुझपर सितम, अपना मानकर करता है,इतना दिलदार है, वो दिलफेंक आशिक,के इश्क़ भी कईयों में बाँटकर करता है! -
वो जो भी करता है ... जानकर करता है,मुझपर सितम, अपना मानकर करता है,इतना दिलदार है, वो दिलफेंक आशिक,के इश्क़ भी कईयों में बाँटकर करता है!
तुम्हीं तो मेरी वो मन्ज़िल हो,कोई रस्ता जँहा नहीं जाता! -
तुम्हीं तो मेरी वो मन्ज़िल हो,कोई रस्ता जँहा नहीं जाता!
एक सच है जो कुछ भी, कहता नहीं है,और इक झूठ है... के चुप रहता नहीं है,जागते हुए भी जो शख़्स सोया हुआ है,ढोल पीटो नगाड़ा पीटो, जगता नहीं है! -
एक सच है जो कुछ भी, कहता नहीं है,और इक झूठ है... के चुप रहता नहीं है,जागते हुए भी जो शख़्स सोया हुआ है,ढोल पीटो नगाड़ा पीटो, जगता नहीं है!
साँसें चल रही लेकिन, ज़िन्दगी थमी है,दरमियाँ रिश्तों पे कुछ बर्फ़ सी जमी है,सज़ा हिज्र की...ऐसी मिली है मुझको,वो साथ है फ़िर भी, उसी की कमी है!(हिज्र=जुदाई) -
साँसें चल रही लेकिन, ज़िन्दगी थमी है,दरमियाँ रिश्तों पे कुछ बर्फ़ सी जमी है,सज़ा हिज्र की...ऐसी मिली है मुझको,वो साथ है फ़िर भी, उसी की कमी है!(हिज्र=जुदाई)
पढ़ता है सिर्फ़ वो, जो अख़बार में छपा है,वो क्यूँ नहीं पढ़ता, जो दीवार पे लिखा है,दरिया देखता है क्या... किनारे पे बैठकर,समन्दर देख ज़रा, जो पलकों पे रुका है! -
पढ़ता है सिर्फ़ वो, जो अख़बार में छपा है,वो क्यूँ नहीं पढ़ता, जो दीवार पे लिखा है,दरिया देखता है क्या... किनारे पे बैठकर,समन्दर देख ज़रा, जो पलकों पे रुका है!
किसी को ज़ख्म और किसी को प्यार मिलता है,हो तक़दीर गर अच्छी, तो अच्छा यार मिलता है,यकीं के सफ़र में, हमसफ़र बनकर रहे जिसके,धोखे पे धोखा उसी से, मुझे हर बार मिलता है! -
किसी को ज़ख्म और किसी को प्यार मिलता है,हो तक़दीर गर अच्छी, तो अच्छा यार मिलता है,यकीं के सफ़र में, हमसफ़र बनकर रहे जिसके,धोखे पे धोखा उसी से, मुझे हर बार मिलता है!
अँधेरा ओढ़कर, जब रात चली आती है,बुलाते हो फ़िर भी... नींद नहीं आती है,जब उदासियों में, कोई पास नहीं होता,सच सच कहो, क्या याद मेरी आती है! -
अँधेरा ओढ़कर, जब रात चली आती है,बुलाते हो फ़िर भी... नींद नहीं आती है,जब उदासियों में, कोई पास नहीं होता,सच सच कहो, क्या याद मेरी आती है!