साँसों और धड़कनों के सिवा, कुछ मिला नहीं,
फ़िर भी ऐ ज़िन्दगी, तुझसे कोई ग़िला नहीं !
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किसने आवाज़ दी मुझको, इस वीराने में,
इक अजनबी हूँ मैं, सबके लिए ज़माने में,
सदा देने वाले ठहर, शाम तो होने दे ज़रा,
मिल जाऊँगा तुझको, किसी मयखाने में!
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मजबूरियों में क़ैद है उस दिल की हलचल,
शोर का बोझ उठाए है, जो ख़ामोशी से!-
तेरी आँखों की नमी मेरी आँखों में बसी है,
जो तू बेवजह हँस रही है, ये झूठी हँसी है,
तू मान या न मान मगर हक़ीकत ये है के,
इधर मैं दुखी हूँ और उधर तू भी दुखी है!
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साज़िशों का शहर है, हर नज़र शिकारी है,
रिश्तों का व्यापार है हर शख़्स व्यापारी है,
मुनाफ़े के लिए, खसारा भी गँवारा है यहाँ,
ख़रीदार मिले तो बिकने की भी तैयारी है!
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दिल्लगी करते हो के दिल लगाने का इरादा है,
यूँ ही मिलते हो के साथ निभाने का इरादा है,
अपना फ़ैसला, तुम खुलकर बताते क्यूँ नहीं,
मेरे दिल में तो तेरी माँग सजाने का इरादा है!-
चंचल चितवन से मूक निमंत्रण देकर
मुझसे दूर जा रहे हैं वो,
मस्त अदाओं से मदहोश करके मुझे
लुत्फ़ शायद उठा रहे हैं वो!-
कभी जागे से, कभी सोये से रहते हो,
किन ख़्यालों में तुम खोये से रहते हो,
क्या बीते हुए कल में, जी रहे हो तुम,
जो मेरे साथ भी यूँ अधूरे से रहते हो!-
आप भी अलग नहीं, औरों जैसे निकले,
बात रूह की करके, ज़िस्म पर फिसले!-