जहा हमारे ही जीवन पे बनी फिल्म चल रही है
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देता तो बोहोत है देने वाला
पर मेरी जरुरत है ही कुछ एसी
की सब कम पड़ ही जाता है ...।-
अब छोटी छोटी जरुरत भी पुरी नहीं होती
मुझसे मेरे टूटे छत की मरम्मत भी नहीं होती
मेहनत के मुताबिक क्यूं हमारी रोजी नहीं होती
अब इस महगाई मे हमसे गुजर बसर नहीं होती-
।। आज का ज्ञान ।।
बर्तन को बाहर से कम और
अंदर से ज्यादा धोना पड़ता है
बस यही जिंदगी है ...।-
चलो अभीष्ट मार्ग में सहर्ष खेलते हुए
विपत्ति विघ्न जो पड़े उन्हें धकेलते हुए
घाटे इस हेलमेल हा बढ़े ना भिन्नता क़भी
अतर्क एक पंथ के सतर्क पांथ हो सभी
समर्थ भाव वो है कि जो तारता हुआ तरे
मनुष्य वो ही है जो मनुष्य के लिए मरे ...।
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आज जरा शा शहला गया मुझको
छू कर मेरे बदन को ठंडी हवा का
झोका यह बतला गया मुझको
तुमने लबो से लिया नाम मेरा यह बतला
गया मुझको मेरे अबतलक रौंगटे खड़े है ...।-
जमाने को लगा
जमाने भर से
खुशनशिब है हम
हस कर गम छुपाना
जब से सिख गये हम-
हम आज कल अपनो में ...
कुछ अपने ढूँढ रहे हैं ...
हक़ीकत की भीड़ से हम ...
कुछ गुमशुदा सपने ढूँढ रहे हैं ...।-