Ravindra Raikwar   ('किंचित्')
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I'm a Teacher
B.A.
B.Ed.
M.A.
🌐 Insta- @ravi_raikwar84
Joined 6 June 2021


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19 APR AT 23:12

बहता चला गया जो तिनका नदी के प्रीत में उसकी धार के साथ!
उसे पता ही नहीं था कि नदी तो समंदर में मिलने को बह रही है!

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4 MAR AT 22:46

I will never got a confirm tickets!

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3 MAR AT 4:24

तेरे लिए लिखूं?
या मेरे लिए लिखूं?
तू कह दे तो?
हमारे लिए लिखूं?

हिन्दी की हंसी में लिखूं!
संस्कृत के संस्कार में लिखूं!
उर्दू की मिठास में लिखूं!
तू जो कह दे तो?
मैं हमको हमारी बुंदेली की बुलंदी में लिखूं!

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1 JAN AT 8:40

नए साल में कुछ नया हो ना हो
तारीखें जरूर नईं होंगी...
तकदीरें बदलें ना बदलें
तस्वीरें जरूर नईं होंगी...!

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20 DEC 2023 AT 20:13

आज-कल ख़ुद के कुछेक

मजबूत उसूल बना रहा हूं।

फिजूल लगता हूं जिन्हें मैं

उनसे अब दूरी बना रहा हूं।

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29 NOV 2023 AT 16:11

हवा पानी सब अच्छा है
पर मौसम अनुकूल नहीं।
बीज प्रेम के बोए हमने
उनके मन में नमी नहीं।

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29 NOV 2023 AT 16:02

--: प्रेम ऋतु :--

हवा पानी सब अच्छा है
पर मौसम अनुकूल नहीं।

बीज प्रेम के बोए हमने
उनके मन में नमी नहीं।

अंकुर फूटे जब प्रीत का
तब उनको भी नींद नहीं।

पुष्पित हों पुष्प अभी ही
हम इतने तो अधीर नहीं।

होगी ऋतु वसंत भी अब
आशा में कोई कमी नहीं।

यह मौसम बदले ही ना
प्रकृति में ऐसी रीत नहीं।

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28 NOV 2023 AT 9:20

उनमें लखनऊ शहर की नज़ाकत है।
जिनकी हर इक खूबी में हकीकत है।।
हमारी सम्पूर्ण बनावट महोबा जैसी।
पानी कड़वा-कड़वी जबां वसीयत है।।

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27 NOV 2023 AT 14:40

वक्त बेवक्त ही सही कुछ तो वक्त निकाला करो।

मुलाकातें ना सही कुछ बातें ही कर लिया करो।।

चाहने वाले बहुत हैं तुम्हारे यह भी मालूम है हमें।

कम से कम किंचित् को भी तो उनमें गिना करो।।

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26 NOV 2023 AT 15:21

जब कोई पूछता है भारत का विचार मुझ से
संविधान की प्रस्तावना पढ़ देता हूं मैं गर्व से।

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