नुमाइश ए इश्क़ ना कर तू आकर मेरी चिता पर
यू तेरा राख कुरेदना मुझे अब भी जख्म दे रहा है-
अगर हर शख्स भारत संविधान की पहचान हो जाए
तो मेरा मुल्क, मेरा धर्म, मेरी जात, सब हिंदुस्तान हो जाए
संविधान दिवस समर्पित-
ऐसी विकट आपदा जीवन में देखी पहली बार !
हवा बन गई ज़हर चली.. जब कुदरत की मार !
घर मंदिर व्यापार सभी के.. बंद हुए दरबार !
बच्चे बूढ़े जवान सभी जन.. होने लगे शिकार !-
दर्मिया ए इश्क में एक फसाना हो गया
मै लिखता रहा हमेशा तुझको ..!!
लेकिन ,...!!!
मुझे खुद से मिले हुए एक जमाना हो गया-
वक़्त मिले तो यारो की महफ़िल से
थोड़ा गुजर जाया करो
बस इतना ही काफी है
जिंदादिली एहसास के लिए-
सैकड़ों कोशिशें नाकाम रही ए जिंदगी तेरी मुझे हराने की
मुझ पर मेरी मां की दुवाओं का कुछ ऐसा असर हुआ-
धधकते सोलो की तरह है प्यार तेरा
कमबख्त इश्क़ की आग हम सीने मै लिए घूमते है-
कमाल का हुनर शिखा दिया तूने ए जिंदगी
खुद को खोकर तुझको संवारने चला हूं-
ढूंढ लो उनको जो आप में आपकी कमियां गिनाते हैं
हकीकत में वही लोग आपको आपसे मिलाते हैं-
आसमा की ओर नजरें उठाई तो सितारों ने पर्दे गिरा दिए
आवाज आई...
जिसकी मोहब्बत अधूरी हो उस से नजरें क्या मिलाना
बेवाक बरसात मांगने लगे उस आसमा से हम अपनी दुआओं में
आवाज आई...
रोज आंसुओं से भीगने वाले को बरसात में क्या भिगाना
छोड़कर सब शेय जो सिर्फ अपनी मोहब्बत का नाम ले
यू बेपरवाह आशिक को उसकी महबूबा से क्या बताना
तुझे यूं टूट कर चाहना सिर्फ गुनाह नहीं है मेरा
तेरे लिए जो खुदा से भी लड़ जाए ऐसे आशिक का क्या समझाना-