मैंने ढूंढे हैं तेरे निशां,
तेरे जाने के बाद।
याद तू अब आता नही,
याद आने के बाद।।— % &-
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दर्द कागज़ पर कुछ,
यूं लिख दिया मैने।
के दर्द देने वाले ने भी
कोई कसर ना छोड़ी
तारीफ करने में।।— % &-
थोड़ा बरसात थमे,
तो मैं जाऊ शहर-ए-तन्हाई में।
मैं भीग तो जाऊ, भीगने को मगर..
पानी में और मेरे आंसू में,
फर्क करना जानता है वो।।— % &-
आँखिर कैसे कोई मेरा झूठ पकड़ ले,
मैंने सच्चों से सीखा है, झूठ बोलना।— % &-
किस मुंह से कहा तुमने,
के मैंने इंतजार नहीं किया।
कई दफा देखा था मैंने,
पंछियों को घर लौटते।।— % &-
तू सब कुछ जानने का
दावा करता है
तो आज अब ये भी बता दे
के मेरा आंसू क्यों कतरा
तेरा आंसू दरिया क्यों-
तू तेरा-मेरा खूब करता है
तो आज अब ये भी बता दे
के मेरा आंसू क्यों कतरा
तेरा आंसू दरिया क्यों-
यूं तो याद हर पल करते है तुम्हे!
कब...?
गर बताने पे आ गए हम
बेशक...
नज़रों में तुम्हारी हम
निकम्मे हो जाएंगे!-
कोई कह दो उन्हें,
यूं ना देखा करें,
मुहब्बत नजरों से हमें।
बड़ी शिद्दत से सिले हैं हमने,
चीथड़े इस दिल के।।-