कुछ ही लोगों तक सीमित
जिन्दगी अपनी,
कहने को कह देते है कि
दुनियाँ देखी है ।-
अपनी बात रखने का मौका देता है
वक़्त आपसे धैर्य माँगता है और प्रेम उत्साह ,
दोनों को तुम पूरा करो ,बुद्ध ना सही बुद्ध सा बनो-
कल परसो तक आएगी बारिश तेरे शहर में ,
मैंने आज ही आँखों से पानी सा गिराया है-
वक़्त तेरा ही आने वाला था यार,
तुझे इतनी जल्दी क्यों थी चले जाने की
😞😞😞-
शहर अपना है ! तुम जलाते क्यों हो ,
ख़ुद ही अंधेरे के पास जाते क्यों हो
माना मजबूरी है कुछ काम भी रहते होंगे
लेकिन वो जिन्दगी से बढ़कर है ये जताते क्यों हो
कुछ दिन की बात है हम साथ होंगे
इस से पहले मौत को पास बुलाते क्यों हो
शहर अपना है यही रहेगा
तुम घूम कर ये बात बताते क्यों हो
जिन्दगी रही तो ये जहान अपना है
इतनी-सी बात भी ख़ुद को समझाते क्यों हो
शहर अपना है तुम जलाते क्यों हो ।
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मन ना लगने का तो एक बहाना है ,
बात ये है तुम हो जहाँ साथ नज़र आना है-
इतना भी रंग क्यों बिखेरता है बेरंग मौसम ,
हमें हर सुबह की याद कहा रहती है ..-
तू चाँद है ! तो देखने वालों का लिहाज़ भी रख ,
हम कब तक इस छत पर तुम्हारा इंतज़ार करेंगे ।-