हद से गुजर के देखा है
अपने अपनो के लिए
गिरते बिखरते देखा है-
जहाँ चाहेंगे वहां हम नयी दुनिया बसा लेंगे
- रवीन्... read more
जरूरतें बहुत जरूरी होती हैं
जरूरतें बहुत भयावह भी होती हैं
कभी कभी ये जरूरतें इतनी बढ़ जाती हैं
कि बेंच डालती है पूरा का पूरा इंसान
उसकी भावनाएं, नेकनीयत,इरादे और हौसला
इसलिए मेरे दोस्त
अपनी जरूरतें उतनी ही रखना
जितनी जरूरतें बहुत जरूरी हों...
©️रविन्द्र"रवि"-
"शिकारियों के किसी जानलेवा खेल में हूँ
अजब नसीब है जो वक्त की गुलेल में हूं
वो कत्ल कर के बैठे हुए हैं संसद में
मैं एक रोटी चुरा कर तिहाड़ जेल में हूं"
©शायर राजीव रियाज" प्रतापगढ़ी"
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माना हम है संघर्षो के धीर पथिक
इन मुस्कानों से वो पुरज़ोर हौसला आएगा
जन जन से जुड़कर बन बहुजन
सत्ता के हैवानों को ज़र्रे तक ढहाया जाएगा-
मुहब्बत की कशक
अनकहा एहसास
उसे छूने की तम्मना
जो नही है पास
चारो तरफ सजा हुआ है
प्यार का बाजार
तय करना है कि
एक इश्क चाहिए
या फिर कई बहार
ये इश्क क्या हो
ये रंग क्या हो
मुहब्बत की अपनी
क्या दास्तां हो
ये एक आशियां हो
या फिर आसमां हो
●रविन्द्र प्रकाश भारतीय-
सांसों के रुकने का बस बहाना है
ज़ख्म भरने के लिए बेपनाह प्यार करना पड़ता है-
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'रविन्द्र रवि के भावों की शब्द शाला' से-