माना कि खाब नहीं दिखा सकते तुम
मगर किसी तुक के दायरे में तो रहो
ये क्या बात हुई कि तुम बकवास भी करोगे
और तुम्हें बोलने का गुरूर भी चाहिए !?-
अब अगर किस्मत ही सब छीन लेने पे उतारु है
तो मोहब्बत भी कैसे बचा पाऊँगा मैं !?
अगर सबकुछ राख ही होना है
तो एहसास भी दफ़न हों, यही ठीक रहेगा ।-
अपने आप को बता पाने की एक ज़िद है हम
कोई सुने ना सुने
कोई देखे ना देखे
ज़िद है
के हैं हम
ख्वाहिशें लिए चंद ख़ाब करवट ले रहे हैं-
ज्योत से ज्योत नहीं जग पाते हैं आज -कल
अब रौशन दिये, बुझे हुए दियों को मुंह चिढ़ाते हैं
काम माँगने से आज-कल आप छोटे हो जाते हैं
ज्योत से ज्योत …-
अब हर एक से, कैसे मिल सकते हो तुम ?
तुम तो क़िस्मत हो ।
तो क्या हुआ अगर हर कोई तुम्हें चाहता है !
तुम्हारी भी वक्त या नियम की मजबूरियाँ होंगी ही
लकीरें भी तो कोई आरक्षण ही हैं ।-
अपने आप से प्यार तो होना ही चाहिए, मगर
अपने आप से, औरों की ख़बर भी पूछनी चाहिए
किसी और को भी प्यार की ज़रूरत है, ये लगे शायद
दीवारों में झरोखे क्यों होते हैं, ये पता चले शायद-
बाप …
कैसा होता है बाप !?
जादूगर होता है - परी बना देता है बेटियों को.
और बेबसी में -बनाना चाहता है बेटों को बाप
आपका अपना पर्सनल भगवान होता है बाप
-जिसे तब जान पाते हैं आप
जब उसे भगवान के आस-पास ढूँढते हैं आप-
Ideas में Logic की कंगाली का दौर है ये :)
Smile करने का आदेश मानेंगे आप
तो अक्सर Giggle करते हुए ही पाये जायेंगे :(-
आप चाहें तो साथ चल सकते हैं मेरे
मगर बता दूँ, मेरी राह में बमबारी है
अक्सर ऊब भी जाता हूँ मैं अपने ही ख़ाब से
फिर भी चलता हूँ, भाई साब! लाचारी है
असल में तो कोई कारोबार ही कर रहा हूँ मैं भी
मगर आशिक़ कहिये मुझे, मत कहिये कारोबारी है-
कहीं पहुँच गए तो ठीक
नहीं पहुँचे कहीं, तो सफ़र जारी है…
आप अंदाज़ा मत लगाइए मेरे बारे में
अपनी मौत तक की तैयारी है …
कहीं रोता हुआ भी दिख सकता हूँ आपको
लेकिन मुझे नहीं, उम्मीद को ये बीमारी है…-