Jab bolne ko boht kuch ho
Par ansu ankhon tak aa jaein
To samjh jana mujhe kehni ki nhi
Ab tumhe samjhne ki zarurat hai-
उजालों से तो बस वास्ता है मेरा
अंधेरों से असल रिश्तें हैं
हर कोई तो मेरा है
मगर हम भला किसके हैं।-
यह जिस्म जलेगा तो सब साथ लेकर जलेगा,
कई राज़ और हज़ारों ख़्वाब लेकर जलेगा।
मिटा कर ये चेहरा और इससे जुड़ी सारी याद लेकर जलेगा,
सारे रिश्तों के साथ कुछ जज़्बात लेकर जलेगा।-
मैं ही क्यों सहूँ तन्हाई हर दफ़ा
कभी “मरी दुनिया” भी देखे दुनिया मेरे बग़ैर।।-
हर कोई बेक़सूर यहाँ
वक्त का सब खेल है
यह जानने की देर है
जिस जगह आज मैं खड़ा
वहाँ था कोई मुझसे बड़ा
उसकी भी एक पहचान थी
मुझसे अधिक जो शान थी
ये काल का चक्का चला फिर
बलवान काया धूल कर
अपनो से कर के दूर पर
ये रूह तो अंजान थी
माटी को निज तन जानती
रोती बिलकती दूर से
देखे स्वयम् को घूर के
ये दाग जो है दे रहा
इसको तो मैंने था जना
ये भी गया सब भूल क्या
पाला था जिसको फूल सा
आँखों में इसकी दिख रहा
इसकी भी है वही दशा
ना वो ही मुझको सुन रहा
ना मुझमें ही अब मैं रहा ।।-
आईनो से भरे कमरे में क़ैद कर दे मुझे
कुछ वक़्त हारे हुए लोगों के साथ बिताना है मुझे ।-
दुनिया को बदलने वालों के नाम बदलते ,
वक्त के साथ बस किताबों में रह गए ….
कहानियाँ बनती गईं और लोग बेचारे जज़्बातों में फ़स कर रह गए…..
समझ आई इंसानियत जिनको वो चंद बाग़ी
हवालातों में बंध क़र रह गए….-
Ye silsila kb tak u hi chalta rahega
Shab-e-saba mein bhi
ye dil kya jalta rahega
Humare milne ki ab koi umeed nhi baki
Intezar tera fir bhi koi krta rhega …-
हर सवाल का जवाब तैयार रखा लबों पे मगर
पूछ ले जो हाल मेरा तो बेज़ार हो जाता हूँ।
हर लम्हा है अब मेरे दस्तरस में
मगर शब के छाते ही न जाने क्यों बहाल हो जाता हूँ।।-
Na kisi ko zaroorat rahi
na kisi ko dar tha khone ka
Malal to raha magar ab mtlb kya bacha mere hone ka
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