Ravi upadhyay   (रवि_)
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my arts #artistic_r
Joined 5 March 2018


my arts #artistic_r
Joined 5 March 2018
11 APR AT 23:04

होगा शौक़, जीने का ज़िंदगी
कुछ तो फ़क़त गुज़ारते फिर रहे

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15 MAR AT 8:11

नुक़्स निकालने को क्या नहीं दुनिया में।
एक तू ही है जो हमे अधूरा अच्छा लगता है।

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11 MAR AT 21:41

मुझे समझौते जँचते नहीं अब।
थोड़ा-थोड़ा करके सब हसरतें मार देता हूँ ।।

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25 JAN AT 23:24

संभल कर चलता है ज़माने से
की कोई कुछ कह न पाए।
गूजती है एक आवाज़ भीतर कहीं
हसरत अधूरी कोई रह न जाए।।

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20 JAN AT 17:41

दौड़ते बीतते दिन है
रातों में भी जगना है।
चैन की न जिंदगी रही और
नींद खुद अब एक सपना है ।
लोग तो हैं तमाम यहाँ कहने को कौन नहीं अपना है
कह दूं जो ज़रा तब देखो कौन रहता फिर अपना है।।

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24 AUG 2023 AT 23:48

दिखता है आसमान उसमें
दिखता है ये जहान उसमें
एक वही है जो नज़र नही आता
वरना मिलते हैं रिश्ते तमाम उसमें।।

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28 JUL 2023 AT 4:36

हर कोई आया है बस
अपना किरदार निभाने को
कुछ अच्छी यादें देने को
या कोई ज़रूरी सबक सिखाने को।।

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20 JUL 2023 AT 12:04

जीत हो तो ऐसी
की हारने वाला गर्व करे अपनी हार पर...

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10 JUL 2023 AT 23:27

किस्मत के लिखे की कीमत है जनाब!
वरना कागज़ो पर तो हमारी भी खूब चलती है।।

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3 JUL 2023 AT 0:52

राधे राधे में प्रेम है।
जय श्री राम से भक्ति।।
हर हर महादेव में है रौद्र रूप।
बजरंग बली से है शक्ति ।।

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