Ravi upadhyay   (रवि_)
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my arts @artistic_r
Joined 5 March 2018


my arts @artistic_r
Joined 5 March 2018
17 APR AT 1:20

मैं ही क्यों सहूँ तन्हाई हर दफ़ा
कभी “मरी दुनिया” भी देखे दुनिया मेरे बग़ैर।।

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26 DEC 2024 AT 22:15

हर कोई बेक़सूर यहाँ
वक्त का सब खेल है
यह जानने की देर है
जिस जगह आज मैं खड़ा
वहाँ था कोई मुझसे बड़ा
उसकी भी एक पहचान थी
मुझसे अधिक जो शान थी
ये काल का चक्का चला फिर
बलवान काया धूल कर
अपनो से कर के दूर पर
ये रूह तो अंजान थी
माटी को निज तन जानती
रोती बिलकती दूर से
देखे स्वयम् को घूर के
ये दाग जो है दे रहा
इसको तो मैंने था जना
ये भी गया सब भूल क्या
पाला था जिसको फूल सा
आँखों में इसकी दिख रहा
इसकी भी है वही दशा
ना वो ही मुझको सुन रहा
ना मुझमें ही अब मैं रहा ।।

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20 SEP 2024 AT 23:41

आईनो से भरे कमरे में क़ैद कर दे मुझे
कुछ वक़्त हारे हुए लोगों के साथ बिताना है मुझे ।

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15 SEP 2024 AT 17:36

दुनिया को बदलने वालों के नाम बदलते ,
वक्त के साथ बस किताबों में रह गए ….
कहानियाँ बनती गईं और लोग बेचारे जज़्बातों में फ़स कर रह गए…..
समझ आई इंसानियत जिनको वो चंद बाग़ी
हवालातों में बंध क़र रह गए….

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4 AUG 2024 AT 23:48

Ye silsila kb tak u hi chalta rahega
Shab-e-saba mein bhi
ye dil kya jalta rahega
Humare milne ki ab koi umeed nhi baki
Intezar tera fir bhi koi krta rhega …

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26 JUN 2024 AT 23:36

हर सवाल का जवाब तैयार रखा लबों पे मगर
पूछ ले जो हाल मेरा तो बेज़ार हो जाता हूँ।
हर लम्हा है अब मेरे दस्तरस में
मगर शब के छाते ही न जाने क्यों बहाल हो जाता हूँ।।

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9 JUN 2024 AT 0:29

Na kisi ko zaroorat rahi
na kisi ko dar tha khone ka
Malal to raha magar ab mtlb kya bacha mere hone ka

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9 JUN 2024 AT 0:08

Khul jaoon jo zara kisi se
To Khud ko door kar leta hun
Ab bas is hi tarah khud ko mahfooz kar leta hun

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7 JUN 2024 AT 0:00

ख्वाब में भी मंज़ूर ना था
वो हक़ीक़त में बदल गया
तभी से मेरा सारा ग़म मेरी फ़ज़ीलत में बदल गया॥

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11 APR 2024 AT 23:04

होगा शौक़, जीने का ज़िंदगी
कुछ तो फ़क़त गुज़ारते फिर रहे

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