Ravi upadhyay   (रवि_)
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my arts @artistic_r
Joined 5 March 2018


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23 AUG AT 1:08

मुझे अपने सच्चे आँसुओ से गिला है
मेरी झूठी मुस्कुराहट ने ही तो सब सँभाल रखा है

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23 AUG AT 0:50

वो एक ख़्वाब बन कर मेरे ज़हन में बस गया
मैंने हक़ीक़त से मुँह मोड़ लिया

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22 JUL AT 19:34

Jab bolne ko boht kuch ho
Par ansu ankhon tak aa jaein
To samjh jana mujhe kehni ki nhi
Ab tumhe samjhne ki zarurat hai

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14 JUN AT 15:00

उजालों से तो बस वास्ता है मेरा
अंधेरों से असल रिश्तें हैं
हर कोई तो मेरा है
मगर हम भला किसके हैं।

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7 JUN AT 17:49

यह जिस्म जलेगा तो सब साथ लेकर जलेगा,
कई राज़ और हज़ारों ख़्वाब लेकर जलेगा।
मिटा कर ये चेहरा और इससे जुड़ी सारी याद लेकर जलेगा,
सारे रिश्तों के साथ कुछ जज़्बात लेकर जलेगा।

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17 APR AT 1:20

मैं ही क्यों सहूँ तन्हाई हर दफ़ा
कभी “मरी दुनिया” भी देखे दुनिया मेरे बग़ैर।।

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26 DEC 2024 AT 22:15

हर कोई बेक़सूर यहाँ
वक्त का सब खेल है
यह जानने की देर है
जिस जगह आज मैं खड़ा
वहाँ था कोई मुझसे बड़ा
उसकी भी एक पहचान थी
मुझसे अधिक जो शान थी
ये काल का चक्का चला फिर
बलवान काया धूल कर
अपनो से कर के दूर पर
ये रूह तो अंजान थी
माटी को निज तन जानती
रोती बिलकती दूर से
देखे स्वयम् को घूर के
ये दाग जो है दे रहा
इसको तो मैंने था जना
ये भी गया सब भूल क्या
पाला था जिसको फूल सा
आँखों में इसकी दिख रहा
इसकी भी है वही दशा
ना वो ही मुझको सुन रहा
ना मुझमें ही अब मैं रहा ।।

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20 SEP 2024 AT 23:41

आईनो से भरे कमरे में क़ैद कर दे मुझे
कुछ वक़्त हारे हुए लोगों के साथ बिताना है मुझे ।

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15 SEP 2024 AT 17:36

दुनिया को बदलने वालों के नाम बदलते ,
वक्त के साथ बस किताबों में रह गए ….
कहानियाँ बनती गईं और लोग बेचारे जज़्बातों में फ़स कर रह गए…..
समझ आई इंसानियत जिनको वो चंद बाग़ी
हवालातों में बंध क़र रह गए….

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4 AUG 2024 AT 23:48

Ye silsila kb tak u hi chalta rahega
Shab-e-saba mein bhi
ye dil kya jalta rahega
Humare milne ki ab koi umeed nhi baki
Intezar tera fir bhi koi krta rhega …

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