लेके चलते है तुम्हे ऐसे एक रास्ते पे
जहां पे राह हो और, मंजिल हो ही नहीं
निकल आए हो जब प्यार की राहों में
मुमकिन ही नहीं की ,मुश्किल हो ही नहीं
डायरी के कुछ पन्नों पे जो लिखा हुआ है
सुनाना हैं तुम्हें जहां, महफिल हो ही नहीं
उतारी है लाश अभी एक और लड़की की
ऐसा कौन है जो यहां कातिल है ही नहीं
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