Ravi Singh   (Ravi Singh)
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रवि सिंह
🚩🇮🇳शायरी लवर 🇮🇳🚩
#राष्ट्रभक्त #🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
Joined 29 June 2019


रवि सिंह
🚩🇮🇳शायरी लवर 🇮🇳🚩
#राष्ट्रभक्त #🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
Joined 29 June 2019
4 APR 2023 AT 18:54

लेके चलते है तुम्हे ऐसे एक रास्ते पे
जहां पे राह हो और, मंजिल हो ही नहीं

निकल आए हो जब प्यार की राहों में
मुमकिन ही नहीं की ,मुश्किल हो ही नहीं

डायरी के कुछ पन्नों पे जो लिखा हुआ है
सुनाना हैं तुम्हें जहां, महफिल हो ही नहीं

उतारी है लाश अभी एक और लड़की की
ऐसा कौन है जो यहां कातिल है ही नहीं

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4 APR 2023 AT 18:28

इतनी सारी बातों पर गुस्सा भीं नहीं हों
यानी तुम्हारे दुनियां का हिस्सा भी नहीं हो

इश्क का परवान और चढ़ता भी रहे पर
लोगों में अपने प्यार का किस्सा भी नहीं हो

कर दें सारे काम पलक झपकते ही और
आदमी हो कोई आकाश फरिस्ता भी नहीं हो

ज़िंदगी का बोझ है अब उन्ही के कंधों पर
जो सोचते थे कि स्कूल का बस्ता भी नहीं हो


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4 APR 2023 AT 18:22

ना दिल में उतरा ना ,वो आम सा रहा
अब उसका नाम भी किस काम का रहा

महफिल से जानें को तैयार बैठे दोस्त
बोले ये इंतजाम भी कौन सा इंतजाम रहा

तोड़े है दिल तूने और पागल किए है लोग
कम से कम सही तेरे दिल में आराम तो रहा

लोगों का हुजूम तुम्हें याद नहीं रहने वाला
मेरा नाम अभी तक तुम्हारी जबान पर रहा

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5 MAR 2023 AT 12:07

अंधराय गए या चकराय गए हव
लगतै फाल्गुन मा बौराय गए हव

साल भर करेव चाकरी बाबून केरी
बढ़िया की होली मा घर आय गए हव

श्री राम और कृष्ण से कुछ सीखेव ना
हिंदूभर बिन पिए भांग मतियाय गए हव

बस रंग का त्योहार कहत रहे होली का
पुछतय इतिहास बस खिसियाय गए हव




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8 SEP 2022 AT 17:59

चुप खड़ी दीवार के तराने शुरू हुए
परिणाम चाहत के अब आने शुरू हुए

रिश्ते की नींव में लगा है वक्त मगर
रिश्ते बन गए अब निभाने शुरू हुए

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8 SEP 2022 AT 17:55

किसा होना था मैं कैसा था
कैसा हो गया हूं मैं
किसी एक को खोजने में
खुद खो गया हूं मैं
मेरे कहानी का किरदार
जो मुख्य भूमिका में था
उसे जगाने की कोशिश में
थककर सो गया हूं मैं

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26 AUG 2022 AT 15:51

कितनी कोशिशों से भी, समाधान नहीं निकला
डाक्टर ने बीमारी बताई है निदान नही निकला

हर पीढ़ी को था खुद के ज्ञानी होने का वहम
मनुष्य बदला पर उसका मनोविज्ञान नही बदला

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30 JUL 2022 AT 7:47

विचार पर विचार करता रहता हूं
बीमार को बीमार करता रहता हूं

नए बहाने को देता हूं बहाने नए
लाचार को लाचार करता रहता हूं

जो ज्ञात है उसे और जानने के लिए
अविष्कार पे अविष्कार करता रहता हूं

पूरे नहीं होगें मुझसे वादे किसी के
सब से करार पे करार करता रहता हूं

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21 JUL 2022 AT 14:29

नित नए प्रयोग से जीवन सवारेगें
गिरेंगे सीखेंगे उठेंगे कभी न हारेंगे

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16 JUL 2022 AT 10:19

हमने ही उस दिए में तेल न डाला
दिया जो मेरे घर मे रोशनी करता

जिंदगी ने माया में उलझा दिया वरना
मैं घर से निकलता और शायरी करता

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