ख़त्म होता जा रहा है रेत की तरह
डर है कि इसका अंतिम समय नज़दीक है
जा चुके हैं जो छोड़ के कब के कहीं दूर
चलना चाहिए मुझे भी शायद यही ठीक है-
बड़ा आसान होता है किसी के लिए कहना
बड़ा ही मुश्किल होता है किसी के लिए सहना-
जब हृदय को बार - बार ठोकर लगती है तो
वो इतनी गहराई से रोता है
कि दर्द भी कांप उठता है
लेकिन रोने के बाद जब वोही हृदय
कठोर बन जाता हैं तो इतना कठोर
बन जाता है कि पहाड़ और वो
एक समान ही बन जाते हैं
सितम ये है कि पहाड़ कठोर होता है
और हृदय को चोट दे कर कठोर बना दिया जाता है-
ख़ुद अपने हाथों से किसी को ज़ख़्म देने के बाद
उन्हीं हाथों से फ़िर ज़ख़्म पर मरहम लगाने
नहीं जाना चाहिए ... हो सकता है
ज़ख़्म खाने वाला मरना ज़्यादा बेहतर समझे
उस वक्त-
Choose Someone Who Respects Your Heart Not Who Measure You According To Their Standards
-
मैं जानता हूं तुमने बिना ज़्यादा समय लिए
एक झटके में ही ख़ुद सब ख़त्म कर दिया था
मुझे ये कहना है कि प्यार वो नहीं जिसे
जब मन चाहा एक झटके में ख़त्म कर दिया
मेरी तरफ से ये एक पौधा बनकर खिला था
जो बाद में एक खूबसूरत फ़ूल बना
इस फ़ूल को मैं बेरहमी से मरने नहीं दूंगा
तुम्हारी बेरुखी और नफ़रत इसे धीरे धीरे
ऐसे मौत देगी के एक दिन ये ऐसी मौत मरेगा
कि फिर इसका कभी जन्म नहीं हो सकेगा
प्यार इंतज़ार से जन्म लेता है और
इंतज़ार में ही मर भी जाता है
जिसे एक झटके से खत्म कर दिया जाए
उसे प्यार कहना ही प्यार का अपमान है-
When Someone Keep Telling You Again And Again That We Both Are Different It Means They Are Saying You Are Not Of Their Type ...Let Them Free From Your Cage Happily To Give Them Freedom To Search Someone Of Their Frequency... Sometimes People Don't Have Patience To Walk On Way Which Leads To Long Term Difficult Commitments ..No One Is Same In This World ...Just Try To Understand The Meaning Behind Those Words And ...Give Some Respect To You Also ..Don't Knock That Door Again Which Someone Has Shut It For You Even When You Have Stayed Loyal And Dedicated...
-
कभी किसी को छोड़ने से पहले ये तय मत कर लेना कि अगर आज छोड़ देंगे तो इतनी तकलीफ नहीं होगी जितनी कल होगी ... जो सच्चे दिल से तुमसे जुड़ ही गया हो ... उसे आज छोड़ो यां कल ... तकलीफ़ तो उसे उतनी हो होगी ...इंसान ख़त्म हों सकता है लेकिन यादें नहीं ... अगर इतनी ही परवाह होती तो कोई छोड़ता ही क्यों ...किसी को ... मन भर सकता है किसी एक से पर दिल नहीं .. वो रहना चाहता है ...ताउम्र ..उसकी ख़ुशी बस जाने में है जाने में नहीं
-
दिल एक के साथ ही जुड़ना चाहता है इसलिए वो कभी भी नहीं भटकता और उसी एक में सब कुछ पा लेता है
लेकिन वहीं दूसरी और दिमाग कभी किसी एक के साथ नहीं टिकना चाहता इसीलिए वो खुद को हर एक के साथ इतना भटकाता है कि
सारी उम्र इस भटकन से बाहर नहीं निकल पाता
...
इतिहास गवाह है कि वफ़ा दिमाग़ ने नहीं दिल ने निभाई है और ये रास्ता इतना कठिन है कि कोई भी कठिन रस्ते पर चलने को अब तैयार नहीं है .. फ़िर भी चाहत सभी की ये होती है कि कोई उसे दिल से चाहे भले ही वो दिमाग़ से चलने वाला हो-