ज़रूरत कितनी थी तेरी अगर बता देता मैं, दोस्ती तोड़ देती ग़र मोहब्बत जता देता मैं॥ तू सोच तेरे हिस्से में फिर बचता ही क्या, मेरा जिक्र अगर तेरे किस्से से हटा देता मैं॥ #Simplysiddh
बस इतना ही कहा था तुमनें, बिछड़ते वक़्त लेकिन - तुम्हारी पलकों पर ठहरा उदास वो आँसू, तुम्हारे बदन पर मेरी खुशबू लिपटा जैकेट, और तुम्हारी ऊँगलीयों को छूता वो छल्ला... मेरे जन्मदिन पर जो तुम्हारे लिए लाया था॥ सच कहती हो तुम... ये कुछ नहीं तो....लेकिन सब कुछ है मेरे लिए॥