बदलाव को अपना लो
अवश्यम्भावी प्रवृत्ति नियति की
प्रकृति का स्वरूप भी यही
तुम भी इनमें ढल जाओ।-
Ravi Shankar Jaipuriar
(Ravi Shankar Jaipuriar)
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I am not a writer; but saying things my own way has always been my psssion.
Since I made m... read more
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Joined 16 February 2018
3 HOURS AGO
3 HOURS AGO
गत रात्रि के चौथे प्रहर और ब्रह्म मुहूर्त;
पुनः सूरज सिर चढ़ने को आ जाए, तब
इस तरह दो बार मेरी सुबह होती है।
उम्र का असर है कि कोई और प्रयोजन?
इन दो गुड मॉर्निंग्स के बीच की नींद,तब
वैसी बेसुध फिर कभी नहीं आती है।
गुड मॉर्निंग योरकोट फ्रेंड्स।
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3 HOURS AGO
३.
ये दर्द है तो है; रहे
लक्ष्य तो हासिल करना है
दर्द को लेकर रोते रहें,
हम वैसे तो नहीं हैं।-