ख्वाहिशें साहिल को देके ,मौजों से बात किया करो
शोहरत की उम्मीद छोड़, माकुल से जिया करो-
ये महज कल्पना मात्र हैं। all chara... read more
संघर्षो में जो ना विराम करते है
सफलता की दहलीज़ पे वो विश्राम करते है-
हँसी चेहरे से नही आँखों से झलकती है
दर्द हो सीने में, तो हर बात बुरी लगती हैं-
सरकती हैं रातें तो थमती हैं साँसे
चादर में है लिपटी हुस्न और बाँहें
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मै तुम्हे नही समझ पाया
शायद इसलिए इश्क़ भी नही कर पाया
तेरी ख़्वाहिशों की ऊँची मीनार थी कहीं
अपाहिज था मेरा वक़्त मैं इसे लाँघ नही पाया
कभी देखा हैं रेत की दोस्ती सागर से यहाँ
मैं मिराज़ था प्यासा, बूँदों से नाता हो नही पाया
दो थे निग़ाहें, मैं चार कर नही पाया
रफ़्तार थी तेरी किस्मत, मुझे चौराहों ने भरमाया
इस कहानी का आगाज़ क्या था, छोड़िये जनाब
अंजाम तक ले जाऊँ कैसे, जब वो मेरा हो नही पाया
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मैंने जाना दिल टूटने के बाद
चुभता है आईना क्यूँ टूटने के बाद
सवारें है कितनी बातों को जुल्फ़े तले
अब उलझती है हर बातें लब खोलने के बाद।।
मयस्सर है खुशियाँ मगर ख़ाली है कोना
किसी के जाने के बाद
उठते नही लहरे अब
सागर में डूबने के बाद।।
बरसाती है प्यार की बातें
कौन रोया किसी के जाने के बाद
था चलने का वादा अकेला उम्र भर
महफ़िल में है बैठे ग़म भूलने के बाद
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