मेरी माँ!
तुम्हारे आँचल में,
मैं महफूज़ रहा सदा...!
मुझे आज तुम्हारे ममत्व की
आशीष चाहिए!!-
तन्हा और इस तन्हाई से इश्क़ कर बैठा!
क्योंकि...!
न दौलत, न शोहरत, न घर आलिशान!
बस जफ़ा-ए-इश... read more
माँ-पापा,
भाई-बहन
दोस्त-सहेली,
नाते-रिश्तेदार
घर-रसोई,
शिक्षा-परीक्षा,
करियर-भविष्य
पता है मुझे...!
इन भवँर जाल में लिपटी हुई है हर बेटी!
और तुम भी...
इन सबके विपरीत...मैं!
"एक नई जिम्मेदारियों की पराकाष्ठा"
क्या तुम?
हाँ तुम ही!!
उबर कर इन सबसे,
बन सकोगी...?
सही मायने में मेरी हमसफ़र!!
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आज रोटी ज़रूर खाएं
😁😋🤗
कहते हैं!
2 जून की रोटी बड़े नसीब से मिलती है!
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अब आया है मुझे!
जब से तुम्हारी यादें
दिल पर दस्तक दे रही हैं!-
ही अब...
बनतीं हैं सहारा!
मेरे...
अधूरे-से जीवन के
अनजान सफर का!-
अब लग रहा है जिंदगी
कुछ मेहरबान है...!
तेरे आने की आहट से ही
मेरी दुनियां संवर रही है!!-
पंक्ति और क़तार में
कभी जीने का जद्दोजहद...
कभी जलने (दाहसंस्कार) के इंतजार में!-
दुःख, परेशानी
तिरस्कार, वेदना
और विछोह
के भँवर जाल से,
स्वतंत्र...
आज महसूस किया हूँ...
सुकून के कुछ पल!
तुम्हें पाने का एहसास भी
प्यारा बहुत है।
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यदि आप
जीवन नहीं दे सकते
तो कृपया...
किसी के मृत्यु का
कारण न बनें-