Ravi Ratna   (Rangat)
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I'm just a small particle that feels, expresses and lives.
Joined 26 May 2020


I'm just a small particle that feels, expresses and lives.
Joined 26 May 2020
31 MAR AT 13:13

हमको तुमको
एक-दूसरे की बाहों में
बँध जाने की
ईद मुबारक।

बँधे-बँधे,
रह एक वृंत पर
खोल-खोल कर प्रिय पंखुरियाँ
कमल-कमल-सा
खिल जाने की
रूप-रंग से मुसकाने की
हमको तुमको
ईद मुबारक

(केदारनाथ अग्रवाल)

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1 FEB AT 0:41

उगते सूरज से पूछता हूं, 
दिन-दिन का ये फेरा क्यूं है,
चमकते चेहरों के सीने में, यूं अंधेरा क्यों है?

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28 JAN AT 23:56

जो लोग दिल टूटने से भी नहीं मरे,
उन्हें ख़ुदा भी ज़िन्दा छोड़ देगा..

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23 JAN AT 0:22

बड़े शहरों में अब सर्दियां नहीं टिकतीं;
वो गुज़र जातीं हैं, पक्की सड़कों,
मोटरों और ऊंची इमारतों के बीच से,
ढूंढती हुई खुले मैदान, अधपकी फसलें,
और मिट्टी के चूल्हों की गर्माहट।

अफ़सोस! अब कच्चे चूल्हे
जल्द ठंडे पड़ने लगे हैं, और सर्दियां गर्म...

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19 JAN AT 22:37

ज़िंदगी जीने को मरते रहना,
इस शहर में मुश्किल है चलते रहना।

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16 JAN AT 0:52

जैसे कोई ठहरा हुआ समंदर हो,
इक मरा हुआ शहर अंदर हो।

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15 JAN AT 0:06

बहुत समझदार लोगों से भी इश्क़ नहीं हो सकता,
उनसे हो सकती हैं, इश्क़ पर बातें,
इश्क़ पर तर्क, जुमले वगैरह;
पर इश्क़ नहीं हो सकता।
क्योंकि इसे करना अत्यंत सरल है।

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19 OCT 2024 AT 19:55

Jab Nazdeek Jahan Ke Aati,
Jugni Maili Si Ho Jaati...

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17 SEP 2024 AT 0:44

ओ रे सखी मोरी फूटी गगरिया,
दोष का दूं मैं पनघट को!
जतन से भर पाई जो गगरिया,
छलकत आई डगरन सो।

मूल से फूटी मोरी गगरिया,
कैसे भराऊं चेतन को!
योग से बांधू चतुर असनिया,
खुल-पड़ जाए गिरहन सो।

ओ रे सखी मोरी फूटी गगरिया,
दोष का दूं मैं पनघट को!

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22 JUL 2024 AT 13:45

वो बातें खा गईं मुझको,
जो बातें पी गया था मैं..

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