10 DEC 2017 AT 12:24

देश बचाओ (कविता)
बन फकीरा देश लुटा मेरा
चाय पीना भी छूटा मेरा,
भ्रष्टाचारी मारे मजा
अपनी जुबान पर लार ही आई,
गांधी खादी का रंग पङ गया फीका
जो केसरिया देश में लहराई,
भीख समझकर वोट ना दो
वरना! देश मरेगा रे, भाई!

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