Ravi Rajpurohit   (रवि राजपुरोहित)
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मन्नत बस मन्नत है, खुदा नहीं!
मांगना बस का है,मिलना नहीं!
Civil engineer. MBMite😎
Joined 12 June 2019


मन्नत बस मन्नत है, खुदा नहीं!
मांगना बस का है,मिलना नहीं!
Civil engineer. MBMite😎
Joined 12 June 2019
12 MAY 2022 AT 1:34

ज़माना ख़राब है संभल के मिला करो
नए लोगों से तुम सोच समझ कर मिला करो

जैसे हो वैसी ही दुनिया दिखेगी तुम्हें
तुम सीधे हो तो थोड़ा वक्त लेकर मिला करो

सफेदी पर जल्दी से रंग चढ़ता है
अनजान रंगो से ज़रा फासले से मिला करो

‘मन्नत’ कोई परत ना चढ़ाना बनावटी पन की
लाख धोंखो के बाद भी जैसे हो ऐसे मिला करो

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11 APR 2022 AT 1:56

एक ही आसमां दो जगहों से अलग - अलग दिखता है
फिर मैं क्यूँ चांहू जैसा मुझे दिखता है सबको दिखता है

एक मेरा नज़रिया एक तुम्हारा अलग अलग हो सकता है
तुझे दिखने वाला तारा, मेरे लिए चाँद भी तो हो सकता है

कहने की बात है मगर एक सिक्के के सिर्फ दो पहलु नहीं होते
उछले सिक्का, गिरने पर सबको अपना अपना पहलु दिखता है

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4 APR 2022 AT 22:53

मेरी नादानियों से तुम मुझे तौला ना करो
विरह की ये बातें तुम मुझे बोला ना करो

तुम ख्याल हो मेरे तो बस ख्याल रहो ना
हकीकत होने की साज़िश किया ना करो

दुनिया के सामने जो मैं समझदार हो जाता हूँ
तेरे सामने जो नादाँ हूँ मैं,तो मुझे बदला ना करो

तुझे मैं चाहूँ उम्र भर बस मेरी एक शर्त है
कल्पना हो, सच में सामने कभी आया ना करो

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10 DEC 2019 AT 16:24

तू सबको bomb लगदी in sidecut कुर्ती,
जब पहने के निकले झाँझर तो पटियाला जूती,
न जाने कितने कत्लेआम सरेआम किये तूने,
तू लगदी proper patola जब नचदी in फुर्ती...

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23 NOV 2021 AT 22:46

उस गली से अब मैं कैसे गुजरूँगा
घर से तो निकलूंगा घर कैसे पहुँचूंगा

क्यूँ सीख गया हूँ मैं आँशु छुपाना
तो भला अब मैं रो भी कैसे पाऊंगा

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6 NOV 2021 AT 0:25

बेचे गए चंद तनख्वाह में
बेचे गए सपने बेची गई नींदे

कुछ पल खेलने के बेचे गए
तो कभी बेची गयी हिस्से की उदासियाँ

बेचा गया उसका रोना खमोशी को
उसके हिस्से में उसे नीरसता दी गई

कभी बेचे गए सुंदर लड़की के नाम पे
कभी बेचे गए सरकारी नौकरी के सामने

किसने कहा इस समाज में
भला लड़कों के सौदे नहीं हुआ करते

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20 JUN 2021 AT 21:26

मैं उनसे सहजता से बात नहीं कर सकता
न वो अपनी उलझनें मुझसे बयां कर पाते हैं

न उनकी कभी आंखों में देखा जाता है
और न उनकी आँखों में आँशु देखे जाते हैं

जैसे कर दूँ सारी बातें उनसे एक ही दफा में
इतना सोचते ही सारे सवाल ही खत्म हो जाते हैं

असहजता से भरा ये सबसे सहज रिश्ता है
आजकल हम एक दूसरे को यूँ ही समझ जाते हैं

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22 MAY 2021 AT 21:45

जिंदगी भर परवाह करी मुश्किलों की
जिंदगी चल बसी और मुश्किलें रह गई

जो उनसे न मिलते तो खुशगवार होते
'मन्नत' स्याह हुआ, कागज़ों में शाइरी रह गई

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12 MAY 2021 AT 21:38

एक शहर से एक शख्श तक का सफर
मुलाकात से उससे मोहब्बत तक का सफर

रातों की नींदों में उसकी सुबह के ख़्वाब
गुलाबी होठों का उसकी चाय तक का सफर

उसकी मुस्कराहटें जैसे जोधपुर की सहर
शोर के सन्नाटों में उसकी आवाज तक का सफर

मैंने वो सहर भी खोई वो शहर भी खोया
ये था जीर्ण उम्मीदों से नाउम्मीदों तक का सफर

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17 APR 2021 AT 21:09

उसे खो देने के डर में कभी उसे पा ही न सका
उसे चाहा तो मगर कभी उसे चाह ही न सका

एक वक्त जिसे गुजर जाना चाहिए था
एक तुम थे जिसे ठहर जाना चाहिए था

वक़्त भी तेज हो न सका
तुम्हें भी किसी बंधन में बांध न सका

ख़्वाब थे, हकीकत हो जाना चाहिए था
या मुझे ही थोड़ा अंदाजा हो जाना चाहिए था

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