चलो एकबार फिर से, खुद को आजमाया जाए।
ये मुर्दों का शहर है,शोर कब तक मचाया जाए।।
यहां दोस्ती वोस्ती प्यार व्यार की कोई कीमत नहीं मिलती।
चलो ये दुकान कही और लगाया जाए।।-
कैरेक्टर में वजन होना चाहिए।
बातो से तो हर कोई शहंशाह है।
मुस्किले रास्ते बनाती है।
काबिलियत साबित करने के लिए।।-
जब बात होगी तो ज्यादा से ज्यादा क्या बात होगी।
पूरी जिंदगी बस एक सांस का झमेला है।
जब तक है सब कुछ है।
नही है तो कुछ भी नही है।।-
बहस होगी अब मेरे मौत पर।
गुनेहगार को नजरबंद करके।
तमाशा बन गए हमलोग।
सिरमौर उन्हें सौपकर।।-
दोस्ती में वो बात नहीं, जो बचपन की नादानी में थी।
बात बात में अब शक करते है, बचपन में ना ये बीमारी थी।
कैसी मारामारी है, अबजब हम्मे समझदारी है।
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जुबां से क्या बोले,मेरे हालात ही काफी है।
समझने के लिए, बस अहसास ही काफी है।
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आज वक्त ही वक्त पड़े है।
रास्ते सुनी पड़ी है, गलियां सुनी पड़ी है।
नजरे जिधर भी घूमती है।
मुरझाए से चेहरे खड़े है।
आज......
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जिंदगी में हजार बार मरने से कही अच्छा है।
एक बार खुद को जला दो अपनी मंजिल के लिए।।-
अब हालातो को क्या संभालना।
जब जिंदगी बेआबरू हो चली हो।
जिसे सौंपा था अपनी हिफाजत का जिम्मा।
वो ही अब मौत के सौदागर बने फिर रहे है।।-
क्या इंसानियत समझना इतना कठिन हो गया है।
आज के इस दौर में।
चिताएं जल रही है और अब भी बात चुनाव के ।
किए जा रहे है।।-