Ravi Pratap   (उत्कर्ष)
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Joined 30 June 2020


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Joined 30 June 2020
16 DEC 2021 AT 15:49

मैं अकेलापन चुनता नही
स्वीकार करता हूं...!

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13 DEC 2021 AT 9:56

छुपते छुपाते हीं, आ जाओ अब, कोई नहीं है।
इश्क़ हीं इश्क़, बेहिसाब है, कोई नहीं है।।

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30 SEP 2021 AT 23:19

मैं ने कहा कि देख ये मैं ये हवा ये रात ये बारिश
उस ने कहा कि मेरी पढ़ाई का वक़्त है

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18 SEP 2021 AT 21:38

बुरा या अच्छा देखना तो तुम्हे दोनो पड़ेगा"
आखिरकार तुम्हे भी तो "जज "करना पड़ेगा.!

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17 SEP 2021 AT 21:41

थोड़ा सबक था मेरे लिए
पर वो इश्क था या वहम,जो भी था ,
बेहतरीन था अगर मैं अपने इगो को संतुष्ट करने की
कोशिश karu तो सायद वो एक धोखा था ,
लेकिन जो भी हो बेहतरीन था,,
😊

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7 SEP 2021 AT 21:56

कुछ इस तरह गुज़ारा है ज़िंदगी को हम ने,
जैसे कि ख़ुद पे कोई एहसान कर लिया है...!

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27 AUG 2021 AT 12:47

खुली किताब थे हम,,
अफसोस अनपढ़ के हाथ मै थे हम😌

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8 AUG 2021 AT 21:45

मुझे मिल जायेंगे मुझे समझने वाला...
खैर तुम अपनी मनाओ..!!

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26 JUL 2021 AT 0:22

काटने दौड़ते है अब मुझे मेरा ही कमरा मुझे
ऐशा लगता है दीवारों पर से भी छीन गया हो ,
हक मेरा ,वो दरवाजे वो खिड़कियां मानो जैसे चिडा
रही हो मुझे,हा ये मेरी ही किताबे है ,जिनको छुए जैसे
अरसे हो गए ,हा कुछ लिखा भी करता था मैं ,यू ही कुछ इधर
कुछ उधर की बातें,अब तो कुछ न एहसाह होता है न कोई लफ्ज़ ..
जबां तक आती है,बस अपने ही खयालों से भटक चुका हूं..!

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22 JUL 2021 AT 1:05

अब तो ख़ुद अपनी ज़रूरत भी नहीं है हम को..
वो भी दिन थे कि कभी तेरी ज़रूरत हम थे...!

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