RAVI KUSHWAHA   (रवि कुशवाहा)
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Joined 17 April 2020


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Joined 17 April 2020
24 JUN 2024 AT 11:20

इस शाम का बहकना तेरी महकी सांसों का कसूर है,
तेरा होना और नशा होना, क्या ही गज़ब दस्तूर है।

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23 JUN 2024 AT 11:40

दोस्त भी मुझे बुलाते हैं तुम्हारे नाम से
एक तुम ही हो जो गैर समझती हो

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14 JUN 2024 AT 16:43

पास रहने वाले लोग कभी ना खास रहे हैं....
छोड़कर जाने वाले ही अक्सर याद रहे हैं....

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10 JUN 2024 AT 10:10

तेरी अदाओं में खोई है मुहब्बत मेरी,
इतनी तड़प है बस तुझे ही चाहता हूँ।

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4 JUN 2024 AT 17:57

𝔸𝕓 𝕥𝕠𝕙 𝕖𝕜 ya𝕙𝕚 𝕒𝕒𝕣𝕫𝕠𝕠 𝕙𝕒𝕚
𝕂𝕚 𝕡𝕙𝕚𝕣 𝕥𝕖𝕣𝕚 𝕒𝕒𝕣𝕫𝕠𝕠 𝕟𝕒 𝕙𝕠

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8 JUN 2023 AT 7:41

तमाम उम्र की शाम हम जिंदगी के नाम करते हैं
पीते हैं हम जैसे अपना ही काम तमाम करते हैं

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8 JUN 2023 AT 7:30

कुछ लोग आप ही आप सम्भाले जाते हैं
शौक़ हसरतों से नहीं पैसों से पाले जाते हैं

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2 MAY 2022 AT 6:21

अपने सपनों के आशियाने बनाओ तुम
छोड़ो जंगल, अब शहर बसाओ तुम

ये कौन से ख्यालों के हो, मरे फिरते हो
हर किसी को तहज़ीब न सिखाओ तुम

जो इश्क़ बुरी चीज़ है, कहो तुम भी बुरा
और फिर दुनिया में अच्छे बन जाओ तुम

उनकी कारस्तानी से अगर घबराओ तुम
सो तहसीन में उनके एक शेर सुनाओ तुम

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18 MAR 2022 AT 8:46

मुहब्बत की रंग में रंगने के लिए एक रंग चाहिए,
इस होली मुझे तेरा रंग और तेरा ही संग चाहिए।

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17 MAR 2022 AT 18:17

एक रंग भीतर है, एक रंग रंगों में...
लगाये कौन सा रंग, कौन से अंगों में।

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