इस शाम का बहकना तेरी महकी सांसों का कसूर है,
तेरा होना और नशा होना, क्या ही गज़ब दस्तूर है।-
मैं तो सिर्फ तुम्हारी जुबाँ सुनना चाहता हूँ।"
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दोस्त भी मुझे बुलाते हैं तुम्हारे नाम से
एक तुम ही हो जो गैर समझती हो-
पास रहने वाले लोग कभी ना खास रहे हैं....
छोड़कर जाने वाले ही अक्सर याद रहे हैं....-
तेरी अदाओं में खोई है मुहब्बत मेरी,
इतनी तड़प है बस तुझे ही चाहता हूँ।-
तमाम उम्र की शाम हम जिंदगी के नाम करते हैं
पीते हैं हम जैसे अपना ही काम तमाम करते हैं-
कुछ लोग आप ही आप सम्भाले जाते हैं
शौक़ हसरतों से नहीं पैसों से पाले जाते हैं-
अपने सपनों के आशियाने बनाओ तुम
छोड़ो जंगल, अब शहर बसाओ तुम
ये कौन से ख्यालों के हो, मरे फिरते हो
हर किसी को तहज़ीब न सिखाओ तुम
जो इश्क़ बुरी चीज़ है, कहो तुम भी बुरा
और फिर दुनिया में अच्छे बन जाओ तुम
उनकी कारस्तानी से अगर घबराओ तुम
सो तहसीन में उनके एक शेर सुनाओ तुम-
मुहब्बत की रंग में रंगने के लिए एक रंग चाहिए,
इस होली मुझे तेरा रंग और तेरा ही संग चाहिए।-
एक रंग भीतर है, एक रंग रंगों में...
लगाये कौन सा रंग, कौन से अंगों में।-