" मेरा मन "
तङपते हैं मेरे शरारती नैन
तेरी लुभावनी झलक पाने को
मचलता हैं हृदय मेरा
तेरी दिल के सिरहाने जाने को।
अलोङित हो रहा मन मेरा
इजहारे - वफा तुमसे करने को।
तरस रहे है हम
तेरी दिल की बात सुनने को।-
मेरे हृदय की गहराई में
क्या कोई अप्सराआयेंगी?
आकर मेरे अंधेरे जीवन में
क्या प्रेम की दीप जलायेंगी ?
अपनी मनमोहिनी नयन से
क्या मुझे पुनीत हृदय की बात बातयेंगी?
अपने मधुर स्वर से मुझे
क्या हर्षित कर जायेंगी ?
जीवन के पग -पग पर
क्या मेरा साथ निभायेंगी?
प्रेम के बीच मझधार में
क्या मेरे साथ सुख पायेंगी ?
अपने मोहब्बत को समर्पित कर
क्या पतझङ में बसंत के पुष्प खिलायेंगी?
मेरे हृदय की गहराई में
क्या कोई अप्सरा आयेंगी ?-
त्याग, प्रेम और बलिदान से वशीभूत होती हैं बेटी,
पत्थर को गुलाब बना देती हैं बेटी,
सहनशीलता से परिपूर्ण होती हैं बेटी,
बुराई को परास्त कर देती है बेटी,
समाज में नया आयाम लाती हैं बेटी,
अपनी सम्मान की रक्षा खुद करती हैं बेटी,
परिवार में खुशहाली लाती हैं बेटी,
माँ - बाप का मान बढाती है बेटी,
देश की रक्षा के लिए आगे आती हैं बेटी,
दुश्मनों को करारा जबाब दे जाती हैं बेटी,
बिछङे परिवार को मिलाती हैं बेटी,
सफलता की राह खुद बनाती हैं बेटी......
✍️ -रवि कुमार साव
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थके मंदे जब बच्चे घर आते है,
तो माँ के आँचल में ही सुख पाते हैं।
माँ की महिमा निराली हैं,
खुद कष्ट सहाकर भी हमें खुशी देती हैं।
किराये पर तो घर मिल जाती हैं,
पर माँ का मधुर प्रेम नहीं मिलती हैं।
घुटनों के बल जब हम रेंगते है,
तो माँ ही अंगुली पकङकर चलना सीखाती हैं।
घर में खाने को अन्न नहीं ,
खुद भूखा रहकर हमें खिलाती हैं ।
प्रथम गुरु बनकर माँ हमें
मीठा बोलना सीखती हैं।
उनके चेहरे को देखकर ही
ईश्वर के दर्शन हो जाती हैं।
तनय और तनया में फर्क न करके
ही माँ कीर्तिमान स्थापित कर देती हैं।-
जितनी दफा देखू तस्वीरें तेरी
मधुर स्मृतियां याद आ जाती है।
ख्वाब हो या हो हकीकत
हर जगह तू ही नजर आती है।-
तू होना चाहती हो किसी ओर की
तो किस उम्मीद में तेरा इंतज़ार करू ?
आज भी मोहब्बत तुमसे ही है
तो किसी ओर से क्यों प्यार करूं ?
-✍️रवि कुमार साव-
जिंदगी एक समुदर है
जिसका एक ही किनारा है।
सुख तो कोरि कल्पना है
चारों ओर दुःख का नजारा है।
-✍️ रवि कुमार साव-
" हर्षिता "
हुनर की है वो शहजादी
हर्षिता है जिनका नाम ।
घुमने फिरने की शौकीन है वो
करती सिद्त से सारे काम।
साहस और आत्मविश्वास से परिपूर्ण
देती है हर मक़सद को अंजाम।
शॉपिंग, स्विमिंग में रखती रूचि
फैशन डिजाइनर का करती काम।
स्वादिष्ट भोजन बङे चाव से खाती
पर रखती अपने सेहत का ध्यान।
उनके मधुर आचरण और व्यवहार का
हम करते हैं दिल से सलाम।
✍️- रवि कुमार साव
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" ये दिल "
ये दिल अपना नहीं है
फिर भी इसे सीने से लगा रखा हूं।
तुम ही बनोगी मेरी नायिका
यही ख्वाब सजा रखा हूं।
नामुरादे इश्क के बाज़ार में
तेरी तस्वीर लगा रखा हूं।
हाथों के लकीरों में सिर्फ
तुम्हारा नाम लिखावा रखा हूं।
ताजमहल तो ना सही पर
एक सुंदर आशियाना बना रखा हूं।
ये दिल अपना नहीं है
फिर भी इसे सीने से लगा रखा हूं।
✍️- रवि कुमार साव
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मौसम तो बेईमान है साहब
जो क्षण भर में बदल जाती है।
जिस पर हम करते हैं भरोसा
वहीं हमको हर बार रूलाती है।
-✍️ रवि कुमार साव-