Ravi Kumar Purohit   (Rv की कलम से ✍📝)
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Joined 22 June 2020


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Joined 22 June 2020
5 FEB 2024 AT 18:32

कुछ इस कदर उलझा है मेरे हाथों में
भले किसी से कोई भी बात करूं
तू आ ही जाती है उन बातों में
गर ना बोल पाऊं तो ये गहराता जाता है
मुझे हर वक्त तेरे पास होम का एहसास दिलाता है

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7 SEP 2023 AT 12:11

कृष्णा
And you will find
that
it is the shortest way
to achieve your dreams

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7 SEP 2023 AT 12:05

Bro.. It's time to come back when every chutiya is trying to abuse *SANATANA* 🚩

(as you said in GEETA)

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9 AUG 2023 AT 21:18

एक भरोसे से रिश्ता बनाया था
एक भरोसे पे सपना सजाया था
वो भरोसा भी अब तोड़ गई
मुझे किसके भरोसे छोड़ गई
तू रुकती तो तुझे दिखाते हम
किस क़दर हम तुमपे यूं मरा करते है
अब छोड़ गई ऐसे हमको
देखो अब किस क़दर हम मरा करते है
जो वक्त बिताने आए थे वो छोड़ गए बस यादों को
हम दिल लगाकर बैठ गए अब रोते है उन यादों पर
पर फर्क कहां उस बुजदिल को जो छोड़ गया मझधार में यूं
वो घूम रहा है गैरो संग हम रो रहे हर रात यहां
कभी किसी से किया जो वादा क्या भूल गए चंद लम्हों में
या पहले ही यही इरादा था तो बोल दिए होते हमको
हम रोते न तेरे जाने पर तुझे हंसके लौटा दिए होते
जब था कुछ ऐसे मन में तो एक बार बोल दिए होते
बस........
एक बार बोल दिए होते

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9 AUG 2023 AT 21:13

कई बार
ये जो हो रहा है, क्या यही होना था?
वो जो संग सपने बुनते थे उन्हें इस क़दर रोना था?
वो जमाने की रीतों से डर के बैठे है
वो जो मन ही मन अपना तूझे कर के बैठे है
आज हार गए जमाने से और उस बेढंगी फसानें से
फिर भी लड़ने को तैयार है
पर अब साथ नहीं वो यार है
जिसपे हम मर मिटने को तैयार है
अब ये सपनो की सुबह ना होनी कभी
अब ये इस दर्द की जिरह ना होगी कभी
सब उड़ते लम्हों से नाता तोड बैठे है
अब क्या करे हम भी जब वो हमसे ही मुंह मोड़ बैठे है
समय सदैव एक सा नहीं जो बीते हमपर वो तुम्हे न मिले
कहेंगे नहीं तुमसे चाहे जितने भी हो गिले
तुम सोचना जो तुमने किया क्या वही सही होता है
क्यों हर बार सच्चे मन वाला ही रोता है
यकीन नही होता कई बार

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8 AUG 2023 AT 0:13

विश्व प्रगति और विश्व शांति का हुआ यही से उद्भव
वसुधैव कुटुंबकम् नारा...............
केवल भारत से ही संभव

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29 JUL 2023 AT 14:21

''बरसात का मौसम''

कोई झूमे इसके आने पर, .....कोई टूटी छत पे रोता है,
कोई नाचे, भीगे गलियों में कोई जिम्मेदारियां ढोता है।
किसी को लगता प्रेम भरा तो कोई विरह में रोता है,
किसी की इच्छा पूरी हो तो कोई चिंता में खोता है।
माना सुहाना हर पल होता पर, परिस्थितियों पर भी गौर करो
तो तुमको लगता सहज-सरल, किसी गैर के मन का भी सोच करो
कोई रोक रहा सब सपनो को कोई सपनो में डूबा जाता है,
ये बरसती पानी की फुंहारे सब के लिए तो समान नहीं,
हर किसी की अपनी खुशियां, परेशानियां हर वक्त एक साथ नहीं।

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31 MAR 2023 AT 13:19

चलो आज कुछ नया करते है,
जिंदगी के जो खाली पड़े से पन्ने है, उन्हें उम्मीदों के रंगों से भरते है,
चलो आज कुछ नया करते है...
हम कई बार लड़े जज्बातों से, लोगो के बेढंगी तानों से,
पर जोश भरा उन बातों ने, कुछ जोश भरे अफसानों से
हम कई बार घिरे कई वादों से, लोगों के झूठी बातों से
तब हम दुगुनी ताकत से लड़ बैठे, उन चिकनी चुपड़ी सी बातों से
पर आज मगर दिल करता है, क्यू वक्त ये जाया करता है
सब कहने वाले कहते है, क्यू इनपर गौर ये करता है
सब छोड़ने से क्यू डरते है, हम अकारण ही दौड़ा करते है
ये मंझर ना हो खत्म कभी, रुख जीवन से क्यू मोड़ा करते है
सब भूल भाल कर बाते वो, एक नया सवेरा करते है
चलो....... आज कुछ नया करते है।

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30 MAR 2023 AT 9:04

रामा राजीव लोचना, तन पावन घनश्याम।
निहार छबि ताकि मोरे मन में अतुलित बिश्राम।।
आंगन खेलत राम जो, निहारत सब सुर आय।
सोचत मैया मन मा मोरे लल्ला को नज़र नाहि लग जाय।।
बड़े है सब ते राम जी, रोवत बिलखत जाय।
देखत राम जो चंद्र को ताको मन पावन को ललचाय।।
बाल लीला करत कछु ऐसी सबके मन को भाय।
तिहू लोक के स्वामी शंकर एक टक निहारत जाय।।
सबको भावे राम छबि सब राम-राम रटी जाय।
जिनके दर्शन को सब तरसे वो भी राम दर्शन को आय।।

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29 MAR 2023 AT 16:09

Hard-work and Patience

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