Stop looking for yourself..
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My nest is in Bhubaneswar, Odisha.
जिंदगी के जवाबों में उलझी...
संजीदगी और मायूसी
बिखरी है चारों और...
जो सही चयन कर ले..
समझो, जिंदगी सुलझी..
29.06.22-
मैं कवि कब था..?
वह तो अनायास साहित्य के एक अंधड़-तूफान में उलझ गए थे..
और मेरे अंतर्मन की कुछ भावना बाहर बिखर पड़ी..
कविता बन गई..
वरना मैं कवि कब था ।
शौक तो थोड़ी-बहोत थी..
कविता पढ़ने-लिखने की..
पर चार कदम उठाते और वापस हो लेते थे...
वो तो मुट्ठी भर, अम्मा से विरासत जो मिल गई थी..
तो चल पड़ती है मेरी क़लम..
वरना मैं कवि कब था..?
मैं कवि कब था..
वो तो कच्ची उम्र में..
एक गुड़िया सी लडक़ी अच्छी लगने लगी थी..
कुछ उसे मीठा-मीठा सा लिख डालूं..
उसके मन को मोह लूं...
कविता अपने आप बन पड़ी..
वरना मैं कवि कब था ।।
23.06.22-
I wouldn't be doing justice on people who look upon at me...
I wouldn't like to make those people happy, who look down upon me...
22.06.22-
सुविचारों से महफूज़ रहता है यौवन...
आशा-आकांक्षाओं से ढल जाता ये जीवन...
संतोष-सहनशीलता ही है, जीवन का महामंत्र-गहन....
22.06.22-
No matter, if you win..
No matter, if you lose..
Finally, we all are put together in the same box..-
...Like a " dessert " after a sumptuous dinner..
The aftertaste of a meal should be pleasant...-
It would be of great interest, in communicating with the animal kingdom, than with the human species..
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अनमोल पलों को सहेज कर रखना..
जीवन वैसे भी नागुज़ार सा बन चुका है..
हाथ से ना निकल जाएं छोटी-बड़ी खुशियां..
जीवन शैली में क़ायदे और परहेज रखना ।
31.5.22
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