आंसू की धार हर पल तैयार
खंजर सीने के अंदर करता वार बारम्बार।
भर गया है गला इतना, समंदर में पानी जितना
बहने को बहाने ढूंढे, रहता हर पल तैयार।
अब रुकते नहीं, ये दिखते नही
अंदर अंदर बहते रहते
कहते कुछ न सहते रहते।
कब तक सहे, कब तक चुप रहे
जो कुछ बोले तो बहे अश्रुधार।
गला भर आए, दिल खाली न होए
दिल का दर्द आंखो में लिए
कब तक यूंही छुप छुप के रोए।
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