घने अंधेरे में मिल जाए रोशनी आंखों की ऐसी आस हो तुम हर बुरा वक्त अच्छा हो जाएगा मन कहता है ऐसा विश्वास हो तुम शब्दों में कहना मुश्किल है लक्ष्मी बेटा कितने खास हो तुम....!!!
रोज देखती हूं तुम्हें ! तुम्हें छूने का मन करता है तुम्हें पढ़ने का मन करता है, पर तुम्हारे पास जाते ही दिल घबराता है ! शाम जाती हूं कि इतना दूर कैसे हो गई, लगता है कि यह भूल हो गई, हिम्मत करके कभी पास भी जाऊं तुम्हारे, लगता है तुम खुद मुझसे दूर हो गई, क्या अजीब सा रिश्ता है यह, किसी और से नहीं मेरे Books📚 से जुड़ा है यह !!!